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फिल्म देखकर बना 'पैडमैन' और बदल दी महिलाओं की जिंदगी, अक्षय ने किया सलाम

दिल्ली के रहने वाले अनीश शर्मा ने गन्ने और बेस्ट मैटेरियल के माध्यम से एक हाइजेनिक पैड बनाया है. वो एक पेड को मात्र एक रुपये में महिलाओं को दे रहे हैं.

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Published : Mar 8, 2019, 5:25 PM IST

फिल्म देखकर बना 'पैडमैन' और बदल दी महिलाओं की जिंदगी, अक्षय ने किया सलाम

नई दिल्ली: आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. देश भर में कई तरह के कार्यक्रम महिलाओं को लेकर हो रहे हैं. महिलाओं के सम्मान और उनकी जरूरतों को पूरा करने लिए सरकार प्रयासरत है. वहीं, आम लोग भी समाज की कुरीतियों को दूर करने में अहम योगदान दे रहे हैं.

इसका जीता जागता उदाहरण दिल्ली के रहने वाले अनीश शर्मा हैं. उन्होंने गन्ने और बेस्ट मैटेरियल के माध्यम से एक हाइजेनिक पैड बनाया. सबसे अहम बात यह है कि उन्होंने बाजार में आने वाले महंगे पेड को चुनौती देकर मात्र एक रुपये का पेड बनाया है.

आज वह जगह-जगह जाकर महिलाओ में सेनेटरी पैड के प्रति जागरूकता फैला रहे हैं. इसलिए उन्हें दिल्ली का पैडमैन कहा जाता है.

फिल्म देखकर बना 'पैडमैन' और बदल दी महिलाओं की जिंदगी, अक्षय ने किया सलाम

कैसे आया ये कंसेप्ट दिमाग में ?
अनीश शर्मा ने बताया कि वह एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर थे. पेडमैन फिल्म देखने के बाद उनका मन काफी विचलित हुआ. इसके बाद उन्होंने देश के छोटे-छोटे गांव में जाकर रिसर्च की. जिसके बाद उन्होंने पाया कि आज भी 70 प्रतिशत महिलाएं पैड उपयोग नहीं करती है.

जिसका सबसे बड़ा कारण महंगे पेड होना है. साथ ही लोगों में पेड के प्रति कम जागरूकता होना है. इसलिए उन्होंने सबसे कम दाम में सैनेट्री पैड्स बनाने का निर्णय लिया. उन्होंने इस बाबत एक रुपये की लागत का पैड बनाया है. आज यह पैड न केवल लोगों के लिए हाइजेनिक है बल्कि पर्यावरण को भी प्रदूषण से दूर करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

अक्षय कुमार ने किया सम्मानित

उन्होंने बताया कि पैड बनाने के बाद उन्हें अभिनेता अक्षय कुमार ने बुलाकर सम्मनित भी किया. पैड बनाने में सहायता करने को भी कहा. आज वह दिल्ली में काफी सम्मानित हैं. साथ ही उन्होंने इस पेड के अधिक निर्माण के लिए केंद्र सरकार से आर्थिक सहायता भी मांगी है. जिससे वह छोटे-छोटे गांव में जाकर पैड्स को ले जा सकें और महिलाओ को दे सकें.
फिलहाल वह चाहते हैं कि सैनेट्री पैड्स को लेकर ज्यादा से ज्यादा महिलाओ के प्रति जागरूक किया जाए, और उन्हें कम से कम दामों में मुहैया कराया जाए.

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