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डीयू के एमए हिंदू अध्ययन, चीनी अध्ययन एवं साइबर सुरक्षा और कानून में पीजी डिप्लोमा में प्रवेश शुरू; जानें कैसे करें आवेदन

दिल्ली विवि में हिंदू अध्ययन केंद्र के तहत विवि ने पंजीकरण प्रक्रिया शुरू कर दी है. हिंदी से एमए के लिए इच्छुक छात्र अपने दाखिले के लिए फार्म भर सकते हैं. इसके अलावा साइबर सुरक्षा और कानून में स्नातकोत्तर डिप्लोमा और एमए चीनी अध्ययन प्रोग्रामों में भी दाखिला शुरू कर दिया है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 19, 2023, 10:25 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) द्वारा नए स्थापित किए गए हिंदू अध्ययन केंद्र के तहत विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक सत्र 2023-24 से हिंदू अध्ययन में एमए में दाखिले की शुरुआत कर दी है. दाखिले के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया 19 सितंबर से शुरू की गई और रजिस्टर करने की आखिरी तारीख 30 सितंबर है. न्यूनतम स्कोर के साथ किसी भी विषय में स्नातक डिग्री धारक इस प्रोग्राम में आवेदन करने के लिए पात्र होंगे. दाखिले के इच्छुक उम्मीदवारों को https://pg-merit.uod.ac.in/ पर अपना पंजीकरण कराना होगा. केंद्र की संयुक्त निदेशक प्रो. प्रेरणा मल्होत्रा ने बताया कि इसके लिए दाखिला केवल आहर्ता डिग्री में मेरिट के आधार पर होगा.

इन विषयों में होगा दाखिला:विश्वविद्यालय ने साइबर सुरक्षा और कानून में स्नातकोत्तर डिप्लोमा और एमए चीनी अध्ययन प्रोग्रामों में भी दाखिला शुरू कर दिया है. इन प्रोग्रामों के बारे में सारी जानकारी विश्वविद्यालय की एडमिशन वेबसाइट पर उपलब्ध है. प्रो. मल्होत्रा ने बताया कि हिंदू अध्ययन में मास्टर ऑफ आर्ट्स अपनी तरह का पहला स्नातकोत्तर प्रोग्राम है, जिसमें कंप्यूटर विज्ञान, डेटा एनालिटिक्स, वाणिज्य, राजनीति विज्ञान आदि के ज्ञान क्षेत्रों में भी माइनर कोर्स की शुरुआत की गई है.

डेटा साइंस और एनालिटिक्स, कंप्यूटर साइंस, कॉमर्स, पॉलिटिकल साइंस आदि जैसे चुने गए माइनर विषय को एमए हिंदू अध्ययन में मास्टर डिग्री में शामिल किया जाएगा. हिंदू अध्ययन के साथ-साथ चुने हुए माइनर विषय के साथ मेजर में आवश्यक क्रेडिट के साथ एमए डिग्री प्राप्त करने के बाद विद्यार्थी मेजर विषय में आगे शोध और अध्ययन करने के लिए योग्य होंगे.

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हिंदू सभ्यता के इतिहास को जीवित रखने की कोशिश: प्रो. मल्होत्रा ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह के नेतृत्व और मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय में यह पहल की गई है. हिंदू सभ्यता के इतिहास के साथ-साथ उसके ज्ञान क्षेत्र में संरचित शिक्षण-अधिगम और अनुसंधान के माध्यम से शैक्षणिक प्रयास किया जाता है. विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में साहित्य और दर्शन काफी हद तक निष्क्रिय है.

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एनईटी) के लिए एक विषय के रूप में हिंदू अध्ययन की शुरुआत ने यह सुनिश्चित किया है कि इसे एक ज्ञान डोमेन के रूप में मान्यता प्राप्त है जिसके लिए शिक्षण-अधिगम, अनुसंधान और अन्य बौद्धिक गतिविधियों में संरचित अध्ययन और कैरियर के अवसरों की आवश्यकता होती है.

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