नई दिल्ली:MBBS डॉक्टर और उसके ऊपर ठगी के 6 मामले. यह सुनकर कोई भी हैरान हो सकता है, लेकिन यह सच्चाई है. दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में रहने वाले डॉक्टर अल्तमस पर ठगी के 6 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से 2 मुकदमे पिछले 2 महीने के अंदर 2 राज्यों में दर्ज हुए हैं. यह दोनों मुकदमे कोरोना काल में आवश्यक दवाइयों की कालाबाजारी से जुड़े हुए हैं.
दवाइयों की कालाबाजारी कर करोड़पति बना डॉक्टर गाज़ियाबाद में हुई पहली गिरफ्तारी 29 अप्रैल 2021 को कोरोना के गंभीर मरीजों को दी जाने वाली इंजेक्शन रेमेडेसीवर व ऑक्टेमरा की कालाबाजारी के आरोप में गाजियाबाद क्राइम ब्रांच और नगर पुलिस ने न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. मोहम्मद अल्तमश समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था. उनके पास से 70 रेमेडेसीवर और 2 ऑक्टेमरा इंजेक्शन के अलावा 36 लाख 10 हजार रुपये, एक कार और दो बाइक बरामद हुई थी. गाज़ियाबाद पुलिस के मुताबिक, आरोपी 40 से 50 हजार रुपये में रेमेडेसीवर तथा डेढ़ लाख रुपये में ऑक्टेमरा इंजेक्शन जरूरतमंदों को बेच रहे थे. आरोपी इंजेक्शन कहां से और किसके जरिये लाते थे, इसकी जांच की जा रही है.
मेडिकल स्टोर से थी सेटिंग
बताया जाता है कि रेमेडेसीवर की कालाबाजारी में डॉक्टर अल्तमस की मेडिकल स्टोर वालों से तगड़ी सेटिंग थी. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पूरे देश में रेमेडेसीवर की किल्लत थी. इतनी किल्लत के बावजूद मेडिकल स्टोर वाले उसकी पर्ची देखकर तत्काल रेमेडेसीवर का इंजेक्शन उपलब्ध करा देते थे. इतना ही नहीं डॉक्टर की एक पर्ची पर 10 से 12 रेमेडेसीवर इंजेक्शन मेडिकल स्टोर वाले उपलब्ध कराते थे. बताया जाता है कि डॉक्टर अल्तमस एक दिन में 100 के लगभग रेमेडेसीवर इंजेक्शन निकालता था, जिसे 35 से 40 हजार की कीमत पर बेचा जाता था.
जमानत से रिहा होकर फिर करने लगा कालाबाजारी
गाजियाबाद पुलिस द्वारा रेमेडेसीवर की कालाबाजारी में गिरफ्तार करने के कुछ दिन बाद डॉक्टर अल्तमस को कोर्ट से जमानत मिल गई, लेकिन इसके बाद भी उसके द्वारा लगातार दवाइयों की कालाबाजारी की जाती रही. 2 दिन पहले दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को यह जानकारी मिली कि डॉक्टर अल्तमस सहित कई लोग ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन के नकली इंजेक्शन को घर पर बना कर बेच रहे थे. निज़ामुद्दीन वेस्ट इलाके में बने एक घर में जब क्राइम ब्रांच की टीम ने छापा मारा तो क्राइम ब्रांच की टीम हैरान रह गई.
क्राइम ब्रांच की टीम को वहां कुल 3 हजार 293 इंजेक्शन मिले, जिनमें ज्यादातर इंजेक्शन ब्लैक फंगस की बीमारी में काम आने वाली दवा लिपोसोमल बी के थे, जबकि कुछ इंजेक्शन कोरोना के इलाज में काम आने वाली रेमेडेसीवर के थे. हैरानी की बात यह है कि यह सभी दवाएं नकली थीं. बरामद किए गए इंजेक्शन में से 300 इंजेक्शन एक्सपायर हो चुके थे, जबकि बाकी दवाइयां सामान्य फंगस के इलाज में आने वाली इंजेक्शन को मिलाकर बनाई गई थीं, जिससे ब्लैक फंगस का इलाज नहीं किया जा सकता था.
कम समय में बन गया करोड़पति
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के सलेमपुर का रहने वाला डॉ अल्तमश कम समय में ही करोड़पति बन गया था. उसके पिता कुछ समय पहले तक साइकिल पंचर की दुकान चलाते थे. जानकर बताते हैं कि गांव में आने बाद वह चार बॉडी गार्ड के साथ घूमा करता था. पुलिस अधिकारी दबी जबान में बताते हैं आरोपी डॉ अल्तमश ने उतर प्रदेश के कई इलाकों सहित दिल्ली में कई जगह जमीन खरीदी है.