नई दिल्ली:वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह आत्मा, पिता, सरकार, शक्ति, अधिकार और आप कैसे बाहर आते हैं और लोगों के साथ कैसे व्यवहार करते हैं, का प्रतिनिधित्व करता है. सीधे शब्दों में समझें कि एक मजबूत सूर्य आपको जीवन देने वाली ऊर्जा, इच्छाशक्ति, प्रतिरक्षा, बीमारियों से लड़ने सहित आपके जीवन की सभी बुराइयों से लड़ने की क्षमता देता है. एक मजबूत सूर्य मूल रूप से आपको जीवन में सभी बाधाओं में नेतृत्व करने की शक्ति देता है. वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्यदेव किसी एक राशि में करीब 1 महीने तक रहते हैं. इस तरह से सूर्य हर एक महीने के बाद अपनी राशि बदलते हैं. सूर्यदेव 17 सितंबर को दोपहर सिंह राशि की यात्रा को विराम देते हुए अगली राशि कन्या में प्रवेश कर जाएंगे. जहां पर ये 17 अक्तूबर तक रहेंगे.
शरद ऋतु का आगमन
कन्या राशि में सूर्य के आने पर सूर्य की गर्मी में कमी आनी आरंभ हो जाती है और शरद ऋतु का आगमन हो जाता है. जो दीपावली तक रहती है. शरद ऋतु में सर्दी और गर्मी का सम योग रहता है. गुलाबी ठंड आरंभ हो जाती है और प्रकृति में परिवर्तन दिखाई देने लगता है. जैसा कि भारतीय काल गणना के अनुसार छह ऋतु होती हैं- बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, हेमंत, शरद, शिशिर. ऋतुओं के क्रम में शरद ऋतु चौथी ऋतु होती है. पितृपक्ष भी इसी महीने आता है, जो इसी 29 सितंबर से आरंभ होगा और 14 अक्टूबर को समाप्त होगा.
पितरों के कार्यों एवं तर्पण के लिए शुभ
आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक शास्त्रीय वचनों के अनुसार कन्या की संक्रांति में जब सूर्य आते हैं तो देवता भी उनकी आत्म तृप्ति के लिए इच्छुक रहते हैं. संक्रांति के दिन भी अपने पितरों के निमित्त अन्न जल दान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं. संक्रांति और अमावस्या पितरों के कार्यों एवं तर्पण के लिए बहुत ही शुभ होती है.
संक्रांति के दिन दिन गंगा स्नान का बहुत ही बड़ा महत्व है. क्योंकि कन्या की संक्रांति में सूर्य के ताप कम होने से पितृ देवता भी प्रसन्न होते हैं और अपने-अपने वंशजों से मिलने को आतुर रहते ते हैं जो व्यक्ति श्रद्धा पूर्वक अपने पितरों के निमित्त श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध करता है. गरीबों विद्वानों, ब्राह्मणों को भोजन कराके अन्न वस्त्र दान करते है. उन्हें पितरों का पूर्ण आशीर्वाद मिलता है.