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Utpanna Ekadashi 2022: व्रत करने से दूर होंगी सभी बाधाएं, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा

इस बार उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi 2022) रविवार 20 नवंबर को मनाई जाएगी जिसका व्रत-पूजन करने से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है. तो आइए जानते हैं क्या है इस बार की एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और कथा.

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Published : Nov 19, 2022, 2:23 PM IST

Utpanna Ekadashi 2022
Utpanna Ekadashi 2022

नई दिल्ली/गाजियाबाद:धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी (Utpanna Ekadashi 2022) बहुत ही पवित्र दिन माना जाता है. साल के 24 एकदशी व्रतों में से एक उत्पन्ना एकादशी रविवार 20 नवंबर को मनाई जाएगी. इस बारे में शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र के आचार्य शिव कुमार शर्मा ने बताया कि रविवार को एकादशी सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक है जिसके बाद द्वादशी तिथि आरंभ होगी. द्वादशी तिथि के साथ पड़ने वाली एकदशी को बेहद शुभ माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार इसी दिन माता एकादशी का जन्म हुआ था.

उत्पन्ना एकादशी की कथा:शास्त्रों के अनुसार, प्राचीन काल में मुरासुर नाम का राक्षस था. सभी देव उसके अत्याचार से त्राहि-त्राहि कर रहे थे जिसके बाद देवों ने भगवान विष्णु की शरण ली और उनसे मुरासुर का विनाश करने की प्रार्थना की. देवताओं के विनती करने पर भगवान विष्णु ने मुरासुर का वध किया और उन्हें निर्भय कर दिया. इसके बाद भगवान विष्णु की आज्ञा से एकादशी का जन्म हुआ था. देवताओं ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए एकादशी व्रत आरंभ करने की प्रार्थना की जिसके बाद इसी दिन से एकादशी व्रत का आरंभ हुआ था, इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहते हैं.

उत्पन्ना एकादशी का मुहूर्त:इस बार एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने का शुभ समय रविवार सुबह 10 बजकर 41 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक है. इस दौरान अभिजीत मुहूर्त भी रहेगा. इस दिन भक्तों को भगवान विष्णु की पूजा के साथ विष्णु सहस्रनाम, गोपाल सहस्रनाम एवं श्री लक्ष्मी सूक्त का पाठ करना चाहिए.

पंचामृत स्नान कराएं:इस दिनभगवान विष्णु को सफेद मिष्ठान, फल, पंचमेवा आदि का भोग लगाएं. यदि संभव हो तो पंचामृत से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को स्नान कराएं. तत्पश्चात उनके चरणामृत को प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें. एकादशी व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है. एकादशी व्रत के अगले दिन विद्वानों व ब्राह्मणों को भी भोजन कराना भी विशेष शुभफल दाई होता है.

दूर होती है बाधाएं: शास्त्रों में कहा गया कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है और इसे करने वाला सभी बाधाएं से दूर होकर के परम पद को प्राप्त करता है. भूमि, भवन, घर में कलेश, विवाह में विलंब, कर्ज की अधिकता आदि दोषों को समाप्त करने के लिए इस एकादशी का व्रत करना सर्वोत्तम माना गया है. शास्त्रों में उल्लेख है की एकादशी व्रत के दिन व्यक्ति यदि निराहार रहे तो यह बहुत श्रेष्ठ माना जाता है लेकिन यदि व्यक्ति निराहार होकर व्रत नहीं रह सकता तो वह फलाहार कर के भी व्रत रह सकता है.

आचार्य शिव कुमार शर्मा

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मोक्ष की प्राप्ति: उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही व्रती को हजार अश्वमेध यज्ञ और सौ यज्ञ करने का भी पुण्य मिलता है है. साथ ही वह अपने पिता के वंश, माता के वंश और पत्नी के वंश के साथ विष्णु लोक में स्थापित होता है. इस एकादशी का व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है.

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