नई दिल्ली/गाजियाबाद:धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी (Utpanna Ekadashi 2022) बहुत ही पवित्र दिन माना जाता है. साल के 24 एकदशी व्रतों में से एक उत्पन्ना एकादशी रविवार 20 नवंबर को मनाई जाएगी. इस बारे में शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र के आचार्य शिव कुमार शर्मा ने बताया कि रविवार को एकादशी सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक है जिसके बाद द्वादशी तिथि आरंभ होगी. द्वादशी तिथि के साथ पड़ने वाली एकदशी को बेहद शुभ माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार इसी दिन माता एकादशी का जन्म हुआ था.
उत्पन्ना एकादशी की कथा:शास्त्रों के अनुसार, प्राचीन काल में मुरासुर नाम का राक्षस था. सभी देव उसके अत्याचार से त्राहि-त्राहि कर रहे थे जिसके बाद देवों ने भगवान विष्णु की शरण ली और उनसे मुरासुर का विनाश करने की प्रार्थना की. देवताओं के विनती करने पर भगवान विष्णु ने मुरासुर का वध किया और उन्हें निर्भय कर दिया. इसके बाद भगवान विष्णु की आज्ञा से एकादशी का जन्म हुआ था. देवताओं ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए एकादशी व्रत आरंभ करने की प्रार्थना की जिसके बाद इसी दिन से एकादशी व्रत का आरंभ हुआ था, इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहते हैं.
उत्पन्ना एकादशी का मुहूर्त:इस बार एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने का शुभ समय रविवार सुबह 10 बजकर 41 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक है. इस दौरान अभिजीत मुहूर्त भी रहेगा. इस दिन भक्तों को भगवान विष्णु की पूजा के साथ विष्णु सहस्रनाम, गोपाल सहस्रनाम एवं श्री लक्ष्मी सूक्त का पाठ करना चाहिए.
पंचामृत स्नान कराएं:इस दिनभगवान विष्णु को सफेद मिष्ठान, फल, पंचमेवा आदि का भोग लगाएं. यदि संभव हो तो पंचामृत से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को स्नान कराएं. तत्पश्चात उनके चरणामृत को प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें. एकादशी व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है. एकादशी व्रत के अगले दिन विद्वानों व ब्राह्मणों को भी भोजन कराना भी विशेष शुभफल दाई होता है.