नई दिल्ली/गाजियाबाद: देवशयनी एकादशी, यानी वह दिन जब भगवान विष्णु के शयन का दिन. इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए निद्रा में लीन हो जाते हैं. यह एकादशी आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष में पड़ती है. इसी दिन से चतुर्मास प्रारंभ हो जाता है, जिसके दौरान कोई भी शुभ काम करना वर्जित होता है. हालांकि चातुर्मास में पूजन, ध्यान एवं दान आदि कार्य किए जा सकते हैं.
ज्योतिषाचार्य शिव कुमार शर्मा ने बताया कि, देवशयनी एकादशी 29 जून को सूर्य उदय से लेकर रात्रि 2:42 तक रहेगी. उसके बाद द्वादशी तिथि लग जाएगी. इसलिए एकादशी का व्रत 29 जून को ही रखा जाएगा. देवशयनी एकादश विष्णु भगवान शेषनाग की शैय्या पर विश्राम करते हैं और चार माह की समाप्ति के बाद देवोत्थान एकादशी से पुन: सृष्टि का संचालन करते हैं.
पूजन विधि:इस दिन व्यक्ति को सुबह उठकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करना चाहिए. इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई कर भगवान विष्णु की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराकर नए या साफ वस्त्र पहनाएं. इसके बाद पुष्प एवं तुलसी पत्र अर्पित कर फल एवं मिष्ठान का भोग लगाएं और दीप जलाकर भगवान विष्णु की आरती करें.
देवशयनी एकादशी शुभ मुहूर्त-
एकादशी तिथि गुरुवार, 29 जून, सुबह 3 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी.