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Devshayani Ekadashi 2023: 29 जून को रखा जाएगा देवशयनी एकादशी का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त एवं पूजन विधि

एकादशी व्रत में देवशयनी एकादशी का बड़ा महत्व है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इसी दिन से भगवान विष्णु चार माह के लिए निद्रा में चले जाते हैं. आइए जानते हैं इस एकादशी का शुभ मुहूर्त एवं पूजन विधि.

Devshayani Ekadashi pujan vidhi
Devshayani Ekadashi pujan vidhi

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Published : Jun 28, 2023, 6:05 AM IST

ज्योतिषाचार्य शिव कुमार शर्मा

नई दिल्ली/गाजियाबाद: देवशयनी एकादशी, यानी वह दिन जब भगवान विष्णु के शयन का दिन. इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए निद्रा में लीन हो जाते हैं. यह एकादशी आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष में पड़ती है. इसी दिन से चतुर्मास प्रारंभ हो जाता है, जिसके दौरान कोई भी शुभ काम करना वर्जित होता है. हालांकि चातुर्मास में पूजन, ध्यान एवं दान आदि कार्य किए जा सकते हैं.

ज्योतिषाचार्य शिव कुमार शर्मा ने बताया कि, देवशयनी एकादशी 29 जून को सूर्य उदय से लेकर रात्रि 2:42 तक रहेगी. उसके बाद द्वादशी तिथि लग जाएगी. इसलिए एकादशी का व्रत 29 जून को ही रखा जाएगा. देवशयनी एकादश विष्णु भगवान शेषनाग की शैय्या पर विश्राम करते हैं और चार माह की समाप्ति के बाद देवोत्थान एकादशी से पुन: सृष्टि का संचालन करते हैं.

पूजन विधि:इस दिन व्यक्ति को सुबह उठकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करना चाहिए. इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई कर भगवान विष्णु की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराकर नए या साफ वस्त्र पहनाएं. इसके बाद पुष्प एवं तुलसी पत्र अर्पित कर फल एवं मिष्ठान का भोग लगाएं और दीप जलाकर भगवान विष्णु की आरती करें.

देवशयनी एकादशी शुभ मुहूर्त-

एकादशी तिथि गुरुवार, 29 जून, सुबह 3 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी.

एकादशी तिथि का समापन शुक्रवार, 30 जून सुबह 2 बजकर 42 मिनट पर होगा.

देवशयनी एकादशी व्रत गुरुवार 29 जून 2023 को रखा जाएगा.

पापों से मिलती है मुक्ति:माना जाता है कि एकादशी व्रत करने ने व्यक्ति को न सिर्फ अपार पुण्य की प्राप्ति होती है. बल्कि उसके पापों का नाश भी हो जाता है. व्यक्ति द्वारा जान-अनजाने में किए पाप से भगवान विष्णु मुक्ति दिलाते हैं.

इन मंत्रों का करें जाप:एकादशी के दिनविष्णु सहस्त्रनाम, गोपाल सहस्रनाम, रामरक्षास्तोत्रम् आदि का पाठ करने से भगवान श्रीहरि अति प्रसन्न होते हैं.

इन बातों का रखें ध्यान-

  1. सात्विक आहार खाएं. अगर व्रत रहें तो फलाहार करें.
  2. तामसिक भोजन का सेवन न करें.
  3. ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  4. क्रोध न करें.
  5. भूलकर भी चावल का सेवन न करें.

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