नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में पांचवी कक्षा तक चल रहे गैर मान्यता प्राप्त स्कूल संचालकों को जिस तरह दिल्ली सरकार की तरफ से बंद करने का नोटिस भेजा जा रहा है. स्कूल संचालक इससे परेशान हैं. सरकार ने जब उनकी बात नहीं सुनी तो शुक्रवार को वे बीजेपी प्रदेश मुख्यालय पहुंचे और अपनी परेशानी बताई.
सरकारी नोटिस से स्कूल संचालक परेशान जिसके बाद बीजेपी नेता ने आश्वस्त किया कि वे स्कूल संचालकों के साथ हैं. दिल्ली सरकार में बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के जिस तरह गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को बंद करने का नोटिस भेजा है या गलत है. सरकार को पहले वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए और अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो वह केंद्रीय शिक्षा मंत्री को मामले में हस्तक्षेप करने की गुजारिश करेंगे.
3000 छोटे स्कूल में 10 लाख बच्चे
दरअसल, दिल्ली के अलग-अलग रिहायशी इलाकों में छोटे स्कूल चल रहे हैं. इनकी संख्या तकरीबन 3000 के करीब है. इन स्कूलों में दिल्ली के 10 लाख बच्चे पढ़ाई करते हैं. इन स्कूलों में कक्षा पांचवी तक की पढ़ाई होती है. बाद में यहां से पढ़ाई कर चुके छात्रों को दिल्ली सरकार व अन्य मान्यता प्राप्त स्कूलों में दाखिला लेते हैं.
ऐसे स्कूलों को गत वर्ष दिल्ली सरकार ने रजिस्ट्रेशन कराने का आदेश जारी किया था. इस आदेश पर 4500 रुपये रजिस्ट्रेशन शुल्क देकर स्कूल वालों ने रजिस्ट्रेशन करा लिया. अब इन स्कूलों में कई तरह की अनियमितताएं का हवाला देकर सरकार ने बंद करने के लिए नोटिस भेजा है. इस नोटिस से घबराए स्कूल संचालकों की बातें जब सरकार और शिक्षा निदेशालय ने नहीं सुनी तो वे शुक्रवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे और अपनी परेशानी भाजपा नेताओं को बताई. उनके साथ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रमुख आरसी जैन भी थे.
'दिल्ली में 500 नए स्कूल खोलने का वादा'
स्कूल संचालकों को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू ने कहा की एक तरफ केजरीवाल सरकार ने 2015 के चुनावी घोषणा पत्र में दिल्ली में 500 नए स्कूल खोलने का वादा किया था. यह वादा झूठा साबित हुआ. देश में किसी शख्स का ग्राफ काफी तेजी से गिर रहा है तो वह केजरीवाल है. ऐसा उनकी हरकतों के चलते ही हो रहा है. यह स्कूल अधिकतर अनधिकृत कॉलोनी, पुनर्वास कॉलोनी जैसे कमजोर वर्गों के बाहुल्य क्षेत्रों में स्थित हैं. इन स्कूलों में अधिकतर गरीब परिवार के बच्चे पढ़ते हैं. शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत इन बच्चों का अधिकार है कि इनकी शिक्षा निर्बाध रूप से चलनी चाहिए और सरकार को इस पर विचार करना चाहिए.
उन्होंने बताया कि नगर निगम को आदेश दे दिए गए हैं कि वे सरकार के किसी भी निर्देश का हवाला देकर ऐसे स्कूलों को बंद करने के लिए नोटिस या आदेश जारी ना करें. उन्होंने यह भी बताया कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था राज्य सरकार के अधीन होती है लेकिन उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से भी इस समस्या से अवगत कराया है. उन्होंने आश्वस्त किया कि वे राज्य सरकार से बात करेंगे और ऐसा नहीं होने देंगे.
'स्कूलों को नहीं मिली स्थाई मान्यता'
वहीं, निजी स्कूल संचालकों का प्रतिनिधित्व कर रहे आरसी जैन ने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून 2009 में बना था. इसके बाद भी नई स्कूल खोलने और गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को मान्यता देने के बारे में सरकार चुप बैठी रही. स्कूलों को अपग्रेड करने और उन्हें मान्यता देने के बारे में सरकार ने 3 साल पहले आवेदन मांगे थे. लेकिन एक भी स्कूल को स्थाई मान्यता नहीं दी गई.
उन्हें 1 साल के लिए अस्थाई मान्यता दी जाती रही और अब अचानक गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को बंद करने का निर्णय सरकार ने किया है. जो गरीब बच्चों की शिक्षा के हित में नहीं है. सरकार ने अगर ऐसा कुछ किया तो ना केवल स्कूल संचालक, शिक्षक बल्कि यहां पढ़ने वाले लाखों बच्चों को लेकर रोड पर उतरेंगे.
बता दें कि दिल्ली में चल रहे गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को लेकर शिक्षा निदेशालय के आदेश से लाखों बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है. गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की निरंतरता इसलिए और भी ज्यादा जरूरी है कि केजरीवाल सरकार अपने कार्यकाल में कोई भी नया स्कूल नहीं खोल पाई है केवल पिछली सरकार द्वारा निर्माणाधीन गिनती मात्र स्कूल ही खुले हुए हैं.