नई दिल्ली:इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस्लामिक वर्ष का पहला महीना मोहर्रम का होता है. मोहर्रम में शिया समुदाय के लोग पैगंबर ए इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद कर शोक मनाते हैं.
मोहर्रम का चांद नजर आने के बाद दिल्ली के तमाम इमामबाड़ों में रौनक देखने को मिलती है. मोहर्रम में इमामबाड़ा को सजाया गया है और सभी इमामबाड़ों में मजलिस और मातम का दौर शुरू हो गया है.
10 दिनों तक होती है मजलिस
दिल्ली के कश्मीरी गेट में स्थित दरगाह पंजे शरीफ में मोहर्रम के पहले अशरे यानी मोहर्रम के महीने के शुरुआती 10 दिनों में मजलिसे होती है, जिनकी ख़िताबत शिया धर्मगुरु मौलाना डॉक्टर कल्बे रूशैद करते हैं. मौलाना रूशैद पिछले 17 सालों से दरगाह पंजे शरीफ में मजलिसों की ख़िताबत कर रहे है.