नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली के वाइस चांसलर की नियुक्ति के लिए अपनायी जाने वाली प्रक्रिया को चुनौती देनेवाली एक याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली और याचिकाकर्ता को अपनी लिखित दलीलें दो दिनों में कोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया है.
डॉक्टर प्रसन्नांशु की दावेदारी खारिज की गई थी याचिका वाइस चांसलर पद के एक उम्मीदवार डॉक्टर प्रसन्नांशु ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील करण सुनेजा ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के चांसलर के उस फैसले को निरस्त करने की मांग की. जिसमें डॉक्टर प्रसन्नांशु की दावेदारी को खारिज कर दिया गया. याचिका में चांसलर की ओर से पिछले 25 जून को डॉक्टर प्रसन्नांशु की दावेदारी को खारिज करने को संविधान की धारा 14 का उल्लंघन बताया गया है.
वाइस चांसलर की नियुक्ति के लिए नोटिस निकाला गया
11 अक्टूबर 2019 को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की सेलेक्शन कमेटी के संयोजक ने वाइस चांसलर की नियुक्ति के लिए नोटिस निकाला. नोटिस निकालने के बाद डॉक्टर प्रसन्नांशु ने वाइस चांसलर पद के लिए 11 नवंबर 2019 को आवेदन किया. सेलेक्शन कमेटी ने पिछले 5 फरवरी को अपनी बैठक की और अभ्यर्थियों को 25 फरवरी को इंटरव्यू के लिए बुलाया लेकिन याचिकाकर्ता को नहीं बुलाया गया.
'इंटरव्यू में नहीं बुलाया गया'
याचिका में कहा गया कि डॉक्टर प्रसन्नांशु ने वाइस चांसलर पर नियुक्ति के लिए निकाले गए नोटिस के मुताबिक न्यूनतम योग्यता पूरी करते थे. उसके बावजूद उन्हें न तो इंटरव्यू के लिए बुलाया गया और न ही उनकी उम्मीदवारी निरस्त करने की सूचना दी गई. याचिका में कहा गया है कि बाकी उम्मीदवारों की तरह याचिकाकर्ता के साथ बराबरी के साथ पेश नहीं आया गया.