नई दिल्ली:ट्रांसजेंडर का नाम सुनते ही हमारे सामने एक ऐसी सच्चाई आती है, जिसकी नागरिकता कुछ सालों पहले तक अवैध मानी जाती थी, मतलब उनका कोई अस्तित्व ही नहीं था. इसी टॉपिक पर दिल्ली विश्वविद्यालय से एमफिल की एक छात्रा रिसर्च कर रही हैं. उनका कहना है कि अब इस तबके को भी समान अधिकार मिलने चाहिए.
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एमफिल की छात्रा आकांक्षा ने बताया कि जब हमने इस विषय पर रिसर्च करने को लेकर सवाल किया तो उनका साफ कहना था कि ट्रांसजेंडर और एलजीबीटी समाज भी इसी समाज का हिस्सा है, क्योंकि एक हाथ की सभी उंगलियां एक समान नहीं होती, ठीक उसी प्रकार ट्रांसजेंडर भी बाकी लोगों के समान ना होकर एक ही समाज का हिस्सा है.