नई दिल्ली: जूनियर इंडियन राइफल शूटिंग टीम की बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली विशेषज्ञ कोच सुमा शिरूर ने ओलंपिक चैनल से कहा, "लॉकडाउन से बाहर आने के बाद से वो हर प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर रहे थे. उन्होंने ट्रायल में 1182 और फिर अखिल भारतीय विश्वविद्यालय चैंपियनशिप में 1185 शूटिंग की. विश्व कप में उनका स्कोर बहुत अधिक नहीं था, लेकिन कुल मिलाकर स्कोर (50 मीटर) 3 पोजिशन इवेंट में कम था. ये बहुत कठिन बाहरी परिस्थितियों के कारण है. उस दिन बहुत हवा भी थी."
फरवरी में 20 साल का हो जाने के बाद ऐश्वर्य 3 पोजिशन इवेंट में शूटिंग विश्व कप स्वर्ण जीतने वाले इतिहास के सबसे कम उम्र के निशानेबाज भी हैं. वो नई दिल्ली विश्व कप में राइफल स्पर्धा में व्यक्तिगत स्वर्ण जीतने वाले भारत के एकमात्र खिलाड़ी थे.
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भारतीय निशानेबाजों ने नई दिल्ली विश्व कप में पदक जीतने का रिकॉर्ड बनाया. 15 स्वर्ण सहित कुल 30 पदकों के साथ यह विश्व कप में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था.
ऐश्वर्य के निजी कोच होने के अलावा कॉमनवेल्थ गेम्स की पूर्व स्वर्ण पदक विजेता शिरूर जूनियर इंडियन राइफल शूटिंग टीम की उच्च प्रदर्शन विशेषज्ञ कोच भी है. उन्होंने दिव्यांश सिंह पंवार और ऐश्वर्या के करियर को आकार दिया है, क्योंकि दोनों ने जूनियर्स के माध्यम से प्रगति की है और भारत के लिए ओलंपिक कोटा हासिल किया है.
दिव्यांशु ने 10 मीटर एयर राइफल व्यक्तिगत स्पर्धा में कांस्य पदक जीता जबकि उन्होंने और एलावेनिल वलारिवान ने 10 मीटर एयर राइफल मिश्रित टीम स्पर्धा में भी स्वर्ण पदक जीता. दिव्यांशु, ऐश्वर्य और दीपक कुमार ने एयर राइफल पुरुषों की टीम स्पर्धा में रजत पदक जीता. ऐश्वर्य ने सुनिधि चौहान के साथ मिलकर 50 मीटर 3 पोजीशन मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य भी जीता है.
शिरूर ने कहा, "मैं ऐश्वर्या और दिव्यांशु के लिए बेहद खुश हूं, क्योंकि उन्होंने व्यक्तिगत पदक जीते हैं. हमें और क्या चाहिए और जब आप ओलंपिक के बारे में सोचते हैं तो ये महत्वपूर्ण है. आपके पास ओलंपिक में एयर राइफल स्पर्धा में मिश्रित टीम इवेंट है, लेकिन टीम इवेंट्स नहीं है. वर्तमान में हमारे पास मिश्रित टीम में कोटा नहीं है. व्यक्तिगत पदक जीतना बहुत महत्वपूर्ण है."
46 वर्षीय शिरूर को ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर के लॉकडाउन के दौरान एक विशेष चुनौती से उबरने में खुशी हुई और उन्होंने हाल ही में समाप्त हुए शूटिंग विश्व कप में 50 मीटर 3 पोजीशन कार्यक्रम में स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया.
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शिरूर ने कहा, "लॉकडाउन के बाद वह अचानाक ही बड़े लगने लग गए थे. मैं उन्हें एक बच्चे की तरह देख रही थी, लेकिन वह एक वयस्क की तरह लग रहे थे! इसके बाद उन्होंने अपने विकास में तेजी लाना शुरू कर दिया."
उन्होंने कहा, "उनकी पुरानी जैकेट अब उनके शरीर के हिसाब से छोटी हो गई है। इसलिए राइफल को आकार के अनुसार संभालने के लिए हमारे पास वास्तव में एक नई जैकेट थी. वो मुंबई आए और एक नई किट बनवाई. इस उम्र में लड़कों के साथ यह एक बड़ी चुनौती होती है क्योंकि उनका शरीर बढ़ रहा होता हैं. उनके जीवन के उस पहलू से निपटने में सक्षम होना और उसके बावजूद शीर्ष पर आना, मुझे ये देखकर बहुत खुशी हुई."