नई दिल्ली: बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगाट ने कहा कि टोक्यो ओलंपिक 2020 में लगातार दूसरी बार पदक से चूकने के बाद उन्होंने लगभग कुश्ती छोड़ने का मन बना ही लिया था. लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातचीत ने उन्हें खेल जारी रहने के लिए प्रेरित किया. 2016 रियो ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल में घुटने की चोट से उनकी पदक की उम्मीद टूट गई लेकिन टोक्यो में वह अंतिम आठ चरण में बाहर हो गईं. टोक्यो ओलंपिक में वह अपने वजन वर्ग में दुनिया की नंबर पहलवान के तौर पर उतरी थीं.
जानें, टोक्यो ओलंपिक 2020 के बाद कुश्ती क्यों छोड़ना चाहती थीं विनेश फोगाट
बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली विनेश फोगाट का कहना है कि टोक्यो ओलंपिक के बाद वह कुश्ती छोड़ना चाहती थी. हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के बाद उनका मन बदल गया है.
विनेश ने स्वीकार किया कि इन दो निराशाओं ने उन्हें कुश्ती छोड़ने की कगार पर पहुंचा दिया था. लेकिन, उन्होंने फिर वापसी करते हुए हाल में समाप्त हुए बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता. इस स्टार पहलवान ने कहा, निश्चित रूप से, आप कह सकते हैं (विनेश 2.0 रिलोडिड). मैं मानसिक रूप से बहुत बड़े ‘बैरियर’ को पार करने में सफल हुई हूं. मैंने लगभग कुश्ती छोड़ ही दी थी क्योंकि दो ओलंपिक में मैं एक पदक नहीं जीत सकी थी. ओलंपिक किसी भी खिलाड़ी के लिए बड़ा मंच होता है. लेकिन मेरे परिवार ने हमेशा मेरा समर्थन किया, उन्हें हमेशा मेरी काबिलियत पर भरोसा रहा. उन्होंने कहा, जब मैं निराश थी तो मैं मोदी जी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) से मिली थी और उन्होंने मुझे प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि हमें आप पर भरोसा है और आप कर सकती हो. इससे मेरे अंदर जज्बा फिर से जाग गया.
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