मुंबई: लगभग 12 साल पहले हरियाणा के एक युवा मुक्केबाज ने मुक्केबाजी में देश के लिए पहला ओलंपिक पदक जीतने के बाद भारतीय खेल के इतिहास की किताबों में अपना नाम लिखवा लिया. 2008 बीजिंग ओलंपिक में विजेंदर सिंह के कांस्य पदक की जीत ने भारतीय मुक्केबाजी का चेहरा बदल दिया और कई लोगों को इस खेल में आगे आने के लिए प्रेरित किया. भारत की उभरती हुई टेबल टेनिस खिलाड़ी मुदित दानी के साथ आनलाइन लाइव चैट शो के दौरान विजेंदर ने खुलासा किया कि कैसे हमवतन राज्यवर्धन सिंह राठौर ने 2004 ओलंपिक खेलों में पदक जीतकर उन्हें ओलंपिक पदक जीतने के लिए प्रेरित किया.
निशानेबाज राठौर ने 2004 एथेंस ओलंपिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत के लिए रजत पदक के रूप में पहला पदक जीता था. उस समय विजेंदर की उम्र 18 साल थी और उनका यह पहला ओलंपिक था.