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Badminton World Championship : राजस्थान की मूकबधिर गौरांशी ने फिर लहराया भारत का झंडा, ब्राजील में जीता Gold - राजस्थान की मूकबधिर गौरांशी

राजस्थान की मूकबधिर बालिका गौरांशी ने एक बार फिर रिकॉर्ड बनाया है. इस बार गौरांशी ने ब्राजील में चल रही डेफ एंड डंब बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है.

Gauranshi of Ramganj Mandi
मूकबधिर गौरांशी ने फिर लहराया भारत का झंडा

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Published : Jul 18, 2023, 5:46 PM IST

कोटा.जिले के रामगंज मंडी इलाके की मूकबधिर बालिका गौरांशी ने एक बार फिर परचम लहराया है. डेफ एंड डंब ओलंपिक में भारत का झंडा गाड़ चुकी गौरांशी ने ब्राजील में चल रही डेफ एंड डंब बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है. टीम इवेंट में जापान को हराते हुए 3-1 से विजय हासिल की है, जिसके बाद रामगंज मंडी में मौजूद उनके सभी परिजन काफी खुश हैं. गौरांशी के साथ उनके माता-पिता गौरव और प्रीति शर्मा ब्राजील गए हुए हैं. उनकी दादी रामगंज मंडी के पूर्व चेयरमैन हेमलता शर्मा और दादा प्रमोद शर्मा के साथ पूरा परिवार काफी खुश है.

गौरांशी के ताऊ सौरभ शर्मा का कहना है कि गौरांशी ने टीम इवेंट में यह विजय हासिल की है. इसके साथ ही वह वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो ब्रॉन्ज मेडल भी जीत चुकी है, जिसमें मिक्स डबल और वूमेन डबल शामिल है. इससे पहले गौरांशी ने साल 2022 में ब्राजील में ही गोल्ड मेडल ओलंपिक में जीता था. इसके बाद थाईलैंड के बैंकॉक में आयोजित एशिया पेसिफिक में दो ब्रॉन्ज मेडल व जीत चुकी है. वर्तमान में वह मध्यप्रदेश के जरिए खेल रही है, क्योंकि उसकी पढ़ाई भी एमपी भोपाल के डेफ एंड डंब स्कूल में हो रही है.

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माता-पिता की भी मिस्ट्री जोरदार : गौरांशी के पिता गौरव और मां प्रीति भी डेफ एंड डंब हैं. दोनों की मुलाकात भी भोपाल के डेफ एंड डंब स्कूल में ही हुई थी, जिसके बाद दोनों ने शादी का फैसला लिया. परिजन इसके लिए तैयार हुए और दोनों की शादी हो गई. हालांकि, किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया. उनकी बेटी मूकबधिर हुई. हालांकि, कई सालों से दोनों पति-पत्नी भोपाल में रहकर ही बालिका के साथ मेहनत कर रहे थे. उसे बैडमिंटन का इंटरनेशनल प्लेयर बना दिया है. वह वह डेफ एंड डंब कंपटीशन में इंटरनेशनल लेवल पर पार्टिसिपेट करती है और ओलंपिक में गोल्ड मेडल भी जीत चुकी है.

अपनी टीम के साथ गौरांशी

12 साल से कर रहे हैं माता-पिता मेहनत : गौरांशी के साथ उसके माता पिता बीते 12 सालों से मेहनत कर रहे हैं. गौरांशी की उम्र 15 साल है, जब वह 3 साल की उम्र में ही उसे भोपाल ले गए थे, जहां पर उसका एडमिशन मूकबधिर एकेडमी में करवा दिया. इसके बाद उसकी रुचि स्पोर्ट्स की तरफ थी, वह सायना नेहवाल को देख कर रुक जाती थी. ऐसे में उसके माता-पिता ने उसे बैडमिंटन खिलाने शुरू कर दिया. जबकि वह उसे तैराक बनाना चाह रहे थे. बाद में उसे एमपी की एकेडमी में ट्रेनिंग दिलाई और अब वर्तमान में पुलेला गोपीचंद अकैडमी हैदराबाद में उसे प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है.

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