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ओलंपिक मशाल के इतिहास में पहली बार कार्बन डाइऑक्साइड का नहीं होगा इस्तेमाल, जानिए वजह - ओलंपिक

टोक्यो ओलंपिक आयोजन कमेटी ओलंपिक की प्रमुख मशाल में हाइड्रोजन का प्रयोग करेगी. इस तकनीक से वे विश्व को हाइड्रोजन ईंधन देने वाले वाहनआदि जापान की तकनीक का प्रसार भी करना चाहती है.

ओलंपिक
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Published : Jan 12, 2020, 9:01 PM IST

टोक्यो: जापान के टोक्यो नागरपालिका ने हाल ही में घोषणा की कि टोक्यो ओलंपिक और पैरा ओलंपिक की प्रमुख मशाल टॉवर में हाइड्रोजन ईंधन का प्रयोग करेंगे.

ओलंपिक के इतिहास में पहली बार है कि कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित ईंधन का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.

जापान के मेइनिची शिमबुन की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले ओलंपिक की मशाल में आम तौर पर प्रोपेन गैस यानी द्रवीभूत पेट्रोलियम गैस का प्रयोग करते थे. कार्बन डाइऑक्साइड की निकासी न करने वाले हाइड्रोजन का इस्तेमाल करने से शून्य कार्बन उत्सर्जन समाज को साकार करने के लिए मददगार होगा.

ओलंपिक लोगो

इसके साथ ही टोक्यो ओलंपिक आयोजन कमेटी हाइड्रोजन के प्रयोग से विश्व को हाइड्रोजन ईंधन देने वाले वाहन आदि जापान की तकनीक का प्रसार भी करना चाहती है.

गौरतलब है कि 2020 टोक्यो ओलंपिक की मशाल इस साल के 12 मार्च को ग्रीस में करीब 10 दिनों की मशाल रिले को समाप्त करने के बाद विमान से जापान सौंपी जाएगी, फिर 26 मार्च से जापान में मशाल रिले किया जाएगा। 24 जुलाई को टोक्यो ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में प्रमुख मशाल जलाई जाएगी.

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