मुंबई : पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने कहा कि कंप्यूटर के आने से खिलाड़ियों के शतरंज खेलने का तरीका बदल गया जिससे दोनों प्रतिद्वंद्वियों के बैठने का स्थान नहीं बदलता.
मैगनस कार्लसन और विश्वनाथन आनंद आनंद ने एक स्पोर्ट्स के कार्यक्रम में कहा, ''मैं जब छह साल का था तब मेरे बड़े भाई और बहन शतरंज खेल रहे थे. फिर मैं अपनी मां के पास गया और उनसे मुझे भी इस खेल को सिखाने के लिए कहा. शतरंज के खिलाड़ी के रूप में मेरी प्रगति अचानक नहीं हुई थी, ये कई वर्षों में कड़ी मेहनत का नतीजा है.''
भारत के इस शीर्ष खिलाड़ी ने कहा, ''मैंने 80 के दशक में जो शतरंज सीखा था उसमें काफी बदलाव आ गया. कम्प्यूटर के आने से खेलने का तरीका काफी बदल गया. जिस चीज में बदलाव नहीं आया वह था, दो खिलाड़ियों के बीच मुकाबला.''
पूर्व वर्ल्ड चैंपियन विश्वनाथन आनंद आनंद ने कहा कि शतरंज में आपको प्रतिद्वंद्वी के खेल का लगातार अध्ययन करने के अलावा उसके दिमाग में क्या चल रहा इस पर भी ध्यान देना होता है. उन्होंने कहा, ''शतरंज में अपको दूसरे खिलाड़ी को हराना होता है. सबको लगता है कि वa सर्वश्रेष्ठ चाल चल रहा है लेकिन ये इस बारे में है कि कौन बोर्ड पर आखिरी गलती करता है.''