नई दिल्ली :1930 जब पहला फीफा विश्वकप खेल गया था तो खेल रही टीमों में केवल 5% विदेशी खिलाड़ी खेल रहे थे. यह आंकड़ा 2018 आते आते लगभग दो गुना हो गया, क्योंकि 2018 में 11.2% खिलाड़ी विदेशी मूल के खिलाड़ी टीमों में खेल रहे थे. 2022 में हुए क़तर विश्व कप में आयोजन के दौरान विदेशी मूल के खिलाड़ियों की हिस्सेदारी सबसे अधिक देखी जा रही है. यहां खेल रहीं 32 टीमों के 830 खिलाड़ियों में से 137 खिलाड़ी अपनी मातृभूमि व जन्मस्थान की जगह अन्य देशों का प्रतिनिधित्व करते देखे गए.
देशी विदेशी खिलाड़ियों को लेकर यह महत्वपूर्ण जानकारियां जानने योग्य हैं....
- मोरक्को को पहली बार क्वार्टर फाइनल में पहुंचाने के लिए स्पेन के खिलाफ विजयी पेनल्टी स्कोर करने वाले अचरफ हकीमी का जन्म मैड्रिड में हुआ है. उनके माता पिता मोरक्को मूल के हैं. एक अन्य खिलाड़ी स्विस फॉरवर्ड ब्रील एंबोलो, कैमरून में पैदा हुए हैं, लेकिन अपनी जन्मभूमि के खिलाफ खेल रही टीम के साथ पहले मैच में ही एक महत्वपूर्ण गोल दाग दिया था.
- मेक्सिको के लिए खेलते हुए अर्जेंटीना के रोगेलियो फनीस मोरी ने भी ग्रुप स्टेज में अपने जन्मभूमि के खिलाफ खेला. जबकि वह अपने शुरुआती दौर में अर्जेंटीना की राष्ट्रीय टीम के लिए खेल चुके थे. लेकिन पेशेवर रूप से खेलने के लिए वहां से मेक्सिको चले गए. 2020 फीफा पात्रता नियमों में बदलाव से उनको मैक्सिकन नागरिकता प्राप्त हो गयी. जिससे उन्हें मैक्सिकन राष्ट्रीय टीम के लिए अर्हता प्राप्त हो गई.
- 2022 विश्व कप में 137 विदेशी खिलाड़ियों को सभी 32 टीमों ने शामिल नहीं किया था, केवल कुछ टीमों में ये खिलाड़ी खेलते हुए देखे गए. कहा जा रहा है कि विदेश में जन्मे 137 खिलाडियों में से 71% ने अपने देश का विश्व कप में प्रतिनिधित्व किया. वह अपने पैतृक कनेक्शन के माध्यम से अर्हता प्राप्त तो कर ली, लेकिन उनमें से कई खिलाड़ी अपने देश में कभी नहीं रहे.
- अगर पांच अफ्रीकी टीमों के आंकड़े को देखा जाय तो पता चलेगा कि उनमें खेल रहे 42% खिलाड़ी विदेशों में पैदा हुए थे.
- फीफा विश्वकप में खेल रहीं 32 टीमों में से केवल 4 देशों की टीम ऐसी थीं, जिनके सभी खिलाड़ी अपने ही देश में पैदा हुए थे. उन टीमों में अर्जेंटीना, ब्राजील, सऊदी अरब और दक्षिण कोरिया शामिल है.
- मोरक्को की टीम में विदेशी मूल के खिलाड़ियों की संख्या सबसे अधिक देखी गयी. उनके ज्यादातर खिलाड़ी पश्चिमी यूरोपीय देशों में पैदा हुए थे, बाद में सभी ने मोरक्को की नागरिकता हासिल कर ली, क्योंकि उनके माता-पिता या दादा-दादी में से कोई एक मोरक्को का मूल निवासी पाया गया. उन्हें पैतृक कनेक्शन के माध्यम से मोरक्को में खेलने की योग्यता मिली.
- अपने अपने देशों से प्राकृतिक प्रवासन (natural migration) के कारण दूसरे देशों में रह रहे या पैदा हुए खिलाड़ी भी अपने मूल देश के लिए पात्रता पा सकते थे. ऐसे में 22% खिलाड़ियों को दूसरी टीम में खेलने का मौका मिला.
- फ्रांस में पैदा हुए या रहने वाले 37 खिलाड़ियों ने फ्रांसीसी टीम के बजाय विदेशी टीम के साथ खेलना पसंद किया. ये खिलाड़ी 9 देशों की टीम में शामिल थे. इस तरह से देखा जाय तो विश्व कप में फ्रांस सबसे अधिक फुटबॉलर्स की प्रतिभा का सबसे बड़ा निर्यातक बना था. इन 37 खिलाड़ियों में से 33 खिलाड़ी अफ्रीकी राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.
- सेनेगल की टीम में फ्रांस में पैदा हुए 9 खिलाड़ी शामिल थे, जबकि ट्यूनीशिया में फ्रांस में जन्मे 10 खिलाड़ी और कैमरून की टीम में 8 खिलाड़ी शामिल थे. इसके साथ साथ पुर्तगाल में राफेल गुएरेइरो, जर्मनी की टीम में आर्मेल बेला-कोटचाप, स्पेन की टीम में एमरिक लापोर्टे और कतर की टीम में करीम बौदियाफ फ्रांसीसी सीमा में पले बढ़े के खिलाड़ी के रूप में शामिल थे.
- वैसे अगर देखा जाय तो अफ्रीका में जन्मे या अफ्रीकी मूल के 50 से अधिक खिलाड़ी 11 देशों की फुटबॉल टीमों में फैले हुए हैं.
- दुनिया भर में लोकप्रिय खेल को और लोकप्रिय बनाने व मनोरंजक बनाए रखने के लिए फीफा ने 2020 में अपने पात्रता नियमों को संशोधित किया और खिलाड़ियों को अपने पसंद की टीम चुनने का मौका दिया और कुछ शर्तें भी बतायीं. इसमें राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने के लिए एक वास्तविक लिंक होने का नियम बनाया. इसके लिए जन्म स्थान, निवास स्थान, दादा-दादी का स्थान जन्म, अपनी राष्ट्रीयता जैसे आधार को प्रमुखता दी.
- 2005 में एक विवाद भी चर्चा में आया था जब कतर ने नकदी के दम पर 3 ब्राजीलियाई खिलाड़ियों को लुभाने का प्रयास था. इस दौरान 1 मिलियन डॉलर तक का प्रलोभन दिया गया था. फीफा द्वारा इस कोशिश को विफल कर देने के बाद कतर ने अपनी राष्ट्रीय टीम बनाने के लिए एक अलग तरीका अपनाया. इस विश्व कप में भी कतर की टीम में कुल 8 देशों के 10 विदेशी मूल के खिलाड़ी खेलते देखे गए.