नई दिल्ली:केंद्र सरकार ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) पर लगे फीफा (FIFA) के प्रतिबंध को हटाने की मांग को स्वीकार कर लिया है. इसके तहत रविवार को केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में एक आवेदन दाखिल कर प्रशासकों की समिति (COA) को हटाने का आग्रह किया जैसा फीफा ने मांग की है. शीर्ष अदालत में अहम सुनवाई से एक दिन पहले खेल मंत्रालय के इस कदम को अक्टूबर में होने वाले फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप की मेजबानी को बचाने के प्रयास के तौर पर देखा जा सकता है.
फीफा ने 16 अगस्त को ‘तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप’ के कारण एआईएफएफ पर प्रतिबंध लगा दिया था. फीफा ने कहा था कि महिलाओं के आयु वर्ग की शीर्ष प्रतियोगिता को वर्तमान में भारत में पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार आयोजित नहीं किया जा सकता. सरकार ने अपने आवेदन में फीफा द्वारा की गई सभी मांगों को लगभग स्वीकार कर लिया है जिसमें उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त सीओए का कार्यकाल समाप्त करना और साथ ही निर्वाचक मंडल में व्यक्तिगत सदस्यों को मतदान की अनुमति नहीं देना शामिल है.
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हालांकि इसमें कहा गया है कि अपदस्थ अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल के नेतृत्व वाली समिति को एआईएफएफ से बाहर रखा जाना चाहिए. आवेदन के अनुसार, माननीय न्यायालय को यह निर्देश देते हुए प्रसन्नता हो सकती है कि एआईएफएफ के दिन-प्रतिदिन के कार्यों का प्रबंधन कार्यवाहक महासचिव की अगुआई में एआईएफएफ प्रशासन करे और पहले से निर्वाचित निकाय को बाहर रखा जाएगा और 22 अगस्त 2022 से एआईएफएफ के प्रशासन में सीओए की कोई भूमिका नहीं होगी. इसमें कहा गया, सीओए को 23 अगस्त 2022 के अंत तक इस माननीय न्यायालय को संविधान का अंतिम मसौदा प्रस्तुत करने की आवश्यकता है और सीओए के अधिकार 23 अगस्त 2022 से समाप्त किए जाएं.
एआईएफएफ को निलंबित करते हुए अपने बयान में फीफा ने कहा था कि एआईएफएफ पर से निलंबन हटाना इस पर निर्भर करेगा कि सीओए को पूरी तरह से हटाया जाए. फीफा ने यह भी कहा कि वह चाहता है कि एआईएफएफ प्रशासन एआईएफएफ के दैनिक मामलों का पूरी तरह से प्रभारी हो. फीफा ने कहा था कि वह चाहता है कि नई कार्यकारी समिति के चुनाव कराने के लिए एआईएफएफ की आम सभा एक स्वतंत्र चुनाव समिति का चुनाव करे.
इसने यह भी कहा था कि एआईएफएफ को महासंघ की पूर्व की सदस्यता के आधार पर अपना चुनाव कराना चाहिए. यानी केवल राज्य संघ मतदान करें, व्यक्तिगत सदस्य नहीं. उच्चतम न्यायालय के 28 अगस्त को एआईएफएफ चुनाव कराने की मंजूरी के बाद शनिवार को नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया पूरी हो गई.
पूर्व दिग्गज फुटबॉलर बाईचुंग भूटिया सहित सात उम्मीदवारों ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया है. हालांकि रविवार को निर्वाचन अधिकारी ने उनमें से दो को खारिज कर दिया क्योंकि प्रस्तावक और समर्थक ने कहा कि उन्होंने किसी भी उम्मीदवार के नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. सरकार की एक दलील है कि प्रतिष्ठित खिलाड़ियों को निर्वाचक मंडल में व्यक्तिगत सदस्यों के रूप में अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. अगर उच्चतम न्यायालय इसे स्वीकार करता है तो भूटिया की उम्मीदवारी खतरे में पड़ सकती है क्योंकि उनके नाम का प्रस्ताव और अनुमोदन प्रतिष्ठित खिलाड़ियों ने किया है.
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सरकार की याचिका के अनुसार, निर्वाचक मंडल में सुझाए गए परिवर्तनों के कारण चुनाव की प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू करने की आवश्यकता हो सकती है क्योंकि मतदाता सूची में परिवर्तन से कुछ नामांकन पत्रों की वैधता प्रभावित हो सकती है जिन्हें ऐसे खिलाड़ी सदस्यों ने प्रस्तावित/अनुमोदित किया हो जिन्हें अब मतदाता सूची से बाहर किए जाने की प्रार्थना की जा रही है. सरकार ने शीर्ष अदालत द्वारा अपने तीन अगस्त के आदेश में स्वीकृत चुनाव कार्यक्रम को संशोधित करने के लिए भी एक याचिका दायर की लेकिन कहा कि 28 अगस्त को एआईएफएफ चुनाव कराने के लिए सीओए द्वारा नियुक्त किए गए निर्वाचन अधिकारी और उनके सहायक को काम जारी रखने की अनुमति दी जाए.
सरकार ने यह भी प्रस्ताव दिया कि एआईएफएफ की कार्यकारी समिति में छह प्रतिष्ठित खिलाड़ियों सहित 23 सदस्य हो सकते हैं. सरकार ने कहा, 17 सदस्य (अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष सहित) उपरोक्त निर्वाचक मंडल द्वारा चुने जाएंगे. छह प्रतिष्ठित खिलाड़ियों में से चार पुरुष होंगे और दो महिलाएं होंगी. प्रतिष्ठित खिलाड़ियों को कार्यकारी समिति में नामांकित किया जा सकता है और उनके पास कार्यकारी समिति में मतदान का अधिकार होगा और इस प्रकार उनका प्रतिनिधित्व लगभग 25 प्रतिशत होगा. सरकार ने कहा कि देश के सामने गंभीर समस्या है और यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि भारत प्रतिष्ठित फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप 2022 की मेजबानी करने का अधिकार नहीं खोए और न ही देश के शानदार फुटबॉल खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने से वंचित रहें.