थेंजॉल (मिजोरम): भारतीय महिला हॉकी टीम की युवा खिलाड़ियों में से एक लालरेमसियामी ने कहा है कि लॉकडाउन के दौरान युवा खिलाड़ियों को प्रेरित रखने में सीनियरों ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. भारत की महिला और पुरुष हॉकी टीमें राष्टव्यापी लॉकडाउन में फरवरी से ही बेंगलुरु के भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) सेंटर में थी.
लालरेमसियामी ने कहा,"अगर रानी (कप्तान) और सविता (उप कप्तान) जैसी सीनियर खिलाड़ी टीम में नहीं होती, जिन्होंने हम जैसे युवाओं को प्रेरित रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, तो फिर कई दिनों तक अपने हॉस्टल में समय बिताना और अपने कमरें में फिटनेस के अलावा और कोई काम करना काफी मुश्किल होता."
लालरेमसियामी, सलीमा टेटे, राजविंदर कौर और शर्मिला, टीम में युवा खिलाड़ी हैं. उन्होंने करियर की शुरूआत में ही सफलता हासिल की है, लेकिन ऐसे दौर से कभी नहीं गुजरी थी, जहां दो महीने से भी अधिक समय तक हॉकी ट्रेनिंग निलंबित थी.
उन्होंने कहा,"सबसे पहले, जब हम मार्च के मध्य में साई सेंटर गए थे तो हम (युवाओं) ने स्थिति की गंभीरता को नहीं समझा. लेकिन हमने परिसर के बाहर नहीं जाने के नियमों का पालन किया."
लालरेमसियामी ने कहा,"ये हमें तब समझ में आया जब हमने डॉक्टरों की एक टीम द्वारा उनकी प्रस्तुति में भाग लिया, जिन्होंने हमें इस महामारी के बारे में बताया. इसके बाद हमें एहसास हुआ कि ये एक गंभीर मुद्दा है और हमें हर समय सतर्क रहने की जरूरत है. सीनियरों ने भी हमसे स्थिति के बारे में बात की."
उन्होंने कहा,"कोच शुअर्ड मरिने और वायने ने इस दौरान लगातार हम पर नजर बनाए रखा और सुनिश्चित किया कि हम अच्छा कर रहे हैं. लेकिन सीनियर खिलाड़ियों ने हमारी मदद की और ये सुनिश्चित किया कि हम घर में बीमार महसूस न करें. वे भारतीय टीम के साथ अपनी कहानियों और रियो ओलंपिक के अनुभवों को हमारे साथा साझा किया. इन कहानियों ने मुझे प्रेरित किया और मैं भी ओलंपिक में भारत के लिए खेलना चाहती हूं."