दोहा: भारतीय टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया का कहना है कि 2022 में फीफा विश्व कप की मेजबानी करने जा रहे कतर ने बीते कुछ सालों में फुटबॉल में जमकर निवेश किया है और यही कारण है कि वह एशियन कप और विश्व कप जैसे आयोजनों की मेजबानी कर रहा है. साथ ही भूटिया ने यब्ह भी कहा कि फुटबॉल में सकारात्मक निवेश के कारण ही कतर आज एशियाई चैम्पियन है.
भूटिया का कतर से खास लगाव रहा है. इस चैम्पियन खिलाड़ी ने भारत के लिए अपना अंतिम मैच साल 2011 में आयोजित एएफसी एशियन कप में दक्षिण कोरिया के खिलाफ कतर में ही खेला था. ऑस्ट्रेलिया और बहरीन के खिलाफ चोट के कारण नहीं खेल पाने के बाद भूटिया दूसरे हाफ में सुपर-सब के तौर पर मैदान में उतरे थे. इरादा भारत को हार से बचाने का था लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो सके थे.
उल्लेखनीय है कि कतर ने हाल के दिनों में काफी विकास किया है. मध्य पूर्व का यह देश मौजूदा एशियन कप चैम्पियन है और 2022 में फीफा विश्व कप की मेजबानी भी करने जा रहा है, जो एशिया का दूसरा और अरब जगत का पहला विश्व कप होगा. कतर ने एशिया में दूसरी बार और मध्य-पूर्व में पहली बार होने जा रहे इस आयोजन के लिए अत्याधुनिक तकनीक और विश्व स्तरीय सुविधाओं से लैस शानदार स्टेडियम तैयार किए हैं, जो अभी से ही फुटबॉल प्रेमियों को आकर्षित करने लगे हैं.
कतर ने विश्व कप के लिए आठ स्टेडियम तैयार करने की प्लानिंग की थी और इनमें से चार का उद्घाटन भी किया जा चुका है. शेष पर तेजी से काम जारी है. इन स्टेडियमों के माध्यम से कतर प्रशंसकों के लिए शानदार अनुभव का वादा कर रहा है. रोचक बात यह है कि 2022 विश्व कप कतर कोरोना महामारी के बाद आयोजित होने वाले प्रमुख खेल आयोजनों में से एक होगा.
भूटिया ने कतर के विकास को लेकर कहा, "कतर ने इंफ्रास्टक्चर पर काफी पैसा खर्च किया है. यही कारण है कि वह एशियन कप और विश्व कप जैसे बड़े आयोजनों की मेजबानी कर रहा है. यह अपनी टीम को भी अच्छे से तैयार कर रहा है और यही कारण है कि वे आज एशियाई चैम्पियन हैं.''
कतर में बिताए गए अपने समय को लेकर भूटिया ने आगे कहा, "साल 2011 में कतर में खेलना मेरे लिए तथा टीम के लिए शानदार अनुभव था क्योंकि यह सबसे बड़े टूर्नामेंट्स में से एक है, लेकिन दुर्भाग्य से मैं चोटिल था और सिर्फ एक मैच में खेल सका. मैंने उस समय के टॉप फुटबॉलर्स को वहां खेलते देखा है और यह शानदार अनुभव था. कुल मिलाकर वहां का माहौल शानदार था."
भारत के लिए खेलना अपने आप में काफी भावनात्मक अनुभव होता है और ऐसे में जबकि आप अपने देश के लिए 100 से अधिक मैच खेल चुके हों तो भावनाएं पूरे उफान पर होती हैं. भूटिया ने देश के लिए खेले गए अपने अंतिम मैच को याद करते हुए कहा, "टीम के साथ रहना और टीम के साथ यात्रा करना, ये दो ऐसी चीजें हैं जिन्हें मैं आज सबसे अधिक मिस करता हूं.''