दर्द से बेहाल मैक्सवेल मैदान में छटपटाते रहे फिर भी क्यों नहीं मिला रनर, जानें जवाब - ग्लेन मैक्सवेल
विश्व कप 2023 में मंगलवार को गजब मुकाबला देखने को मिला. एक तरफ अफगानिस्तान थी और एक तरफ चोटिल मैक्सवेल. इस पूरे मैच में मैक्सवेल पूरी अफगानिस्तान टीम पर अकेले भारी पड़ गए. इस दौरान वह क्रैंप्स से जूझ रहे थे. दर्शकों के दिमाग में सवाल बना हुआ है कि उन्होंने रनर का उपयोग क्यों नहीं किया. जानिए इस स्टोरी में....
मुंबई : 2023 विश्व कप में अफगानिस्तान के खिलाफ ग्लेन मैक्सवेल ने 201 रन की शानदार पारी खेली. उन्होंने सिर्फ दोहरा शतक ही नहीं जमाया बल्कि टीम को जिताकर सेमीफाइनल में भी पहुंचा दिया है. नाबाद 201 रनों की पारी के बाद हर किसी की जुबान पर ग्लेन मैक्सवेल का नाम है. मैक्सवेल की यह पारी इसलिए भी खास है क्योंकि इस मुकाबले में एक समय ऐसा आया था जब वह क्रैम्प्स और बैक स्पैज्म के कारण खड़े होने में असमर्थ थे और मैदान पर गिर गये थे.
मैक्सवेल ने शानदार वनडे पारी खेलते हुए अफगानिस्तान के जबड़े से जीत छीन ली. 292 रनों का पीछा करते हुए, ऑस्ट्रेलिया लड़खड़ा रहा था. और उसकी 91 रन पर 7 विकेट गिर गई थी. इसके बाद मैक्सवेल ने पैट कमिंस के साथ नाबाद 202 रन की साझेदारी की. इस जीत के साथ ही ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल में पहुंच गया. दूसरे सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया का मुकाबला दक्षिण अफ्रीका से होगा.
इस पारी के बीच मैक्सवेल की जो बात सबसे खास थी, वह थी कि शरीर के साथ न देने के बावजूद उनका खेलना. उन्होंने जो शॉट मारे और जो छक्के लगाए उनमें से कुछ एक पैर पर थे. मैक्सवेल मैच के दौरान कईं बार जमीन पर लेटे हुए नजर आए. क्रैम्पस के कारण उनके पैर नहीं चल रहे थे. वह दौड़ भी नहीं सकते थे. कप्तान पैट कमिंस ने दूसरी और से छोर संभाले रखा. मैक्सवेल ने अपनी मर्जी के मुताबिक चौके और छक्के लगाते हुए इसे अपना शो बना दिया.
मैक्सवेल को रनर क्यों नहीं मिला
मैक्सवेल मैच के दौरान कैम्प्स और दर्द से जूझ रहे थे. वह भाग कर रन लेने में असमर्थ थे. ऐसे में फैन्स के मन में सबसे बड़ा सवाल यह था कि वह रनर क्यों नहीं ले रहे. इसका आसान सा जवाब है कि आईसीसी ने अपने नियमों में बदलाव करते हुए बल्लेबाज के बदले किसी और के रन भागने के नियम को बदल दिया है. यह नियम अब मौजूद नहीं है. आईसीसी ने एक फैसला जारी करते हुए वनडे मैचों में घायल बल्लेबाजों के लिए रनर का उपयोग करने वाले नियम को रद्द कर दिया है. क्योंकी आईसीसी का मानना था कि इस वजह खेल में बाधा पहुंचती है. हालांकि, यह नियम सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मैचों में लागू होता है. घरेलू क्रिकेट में यह नियम ज्यों का त्यों बना हुआ है.
पहले भी कई बार हो चुका है रनर का उपयोग
चोट के दौरान कईं बल्लेबाज ऐसा पहले भी कर चुके हैं. वीरेंद्र सहवाग 2003 विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ 98 रन की पारी के दौरान सचिन तेंदुलकर के लिए दौड़े थे. जब 2009 के मोहाली टेस्ट में वीवीएस लक्ष्मण के लिए सुरेश रैना दौड़े थे. 175 रन की पारी के दौरान गौतम गंभीर सहवाग के लिए रन भाग रहे थे. 2011 विश्व कप में बांग्लादेश के खिलाफ युवराज एमएस धोनी के लिए बतौर रनर आये थे.
इससे पहले भी इस ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी के जज्बे की हो चुकी है तारीफ
जनवरी में लॉर्ड्स एशेज टेस्ट के दौरान ऑस्ट्रेलिया का नौवां विकेट गिरने के बाद नाथन लियोन गंभीर चोट के बाद भी बहादुरी से बल्लेबाजी करने आए. उनकी चोट इतनी गंभीर थी कि टेस्ट मैच के चौथे दिन उन्हें बैसाखी का सहारा लेकर चलते हुए देखा गया था. लेकिन फिर भी पांचवें दिन वह बल्लेबाजी करने आये तो उन्हें रनर नहीं मिला था. तब भी इस नियम को दोबारा लागू करने की मांग उठी थी.