हैदराबाद:शायद ही कभी एक पारी ने किसी खिलाड़ी को परिभाषित किया हो. शायद ही कभी वो यादगार पारी एक खिलाड़ी ने अपने पहले टेस्ट में खेली हो. शायद ही उस पारी की तरह ही उस खिलाड़ी ने अपने पूरे करियर में वहीं जज्बा दिखाया हो. वो खिलाड़ी कोई और नहीं बल्कि फाफ डु प्लेसी हैं. नवंबर 2012 में अपने डेब्यू टेस्ट मैच में उन्होंने लगातार आठ घंटों तक बल्लेबाजी की और 110 रन बनाए जिसकी वजह से टीम को जीत मिली. दक्षिण अफ्रीका का कोई भी खिलाड़ी आज तक वो साहस ना दिखा पाया जो डु प्लेसी ने कर दिखाया.
लेकिन कप्तान डु प्लेसिस अब वो खिलाड़ी नहीं रहे जो वो पहले हुआ करते थे. 17 फरवरी 2020 को उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की टेस्ट और टी 20 टीमों के कप्तान पद से इस्तिफा दे दिया. इसके बाद क्विंटन डी कॉक ने उन्हें पिछले महीने वनडे कप्तान के रूप में रिप्लेस किया. अब देखना ये होगा कि बाकि के दोनों फॉर्मेटों में उनकी जगह कौन लेता है?
कप्तान डु प्लेसिस की उपस्थिति में उनके अंदर का खिलाड़ी भी लुप्त होता चला गया. उन्हें हाल हीं में इंग्लैंड के खिलाफ वनडे और टी 20 श्रृंखला के लिए आराम दिया गया था. हालांकि दक्षिण अफ्रीका वो दोनों ही सीरीज नहीं जीत सकी.
डु प्लेसी ने कप्तानी छोड़ने के बाद 524 शब्द के एक स्टेटमेंट में कहा, " मैंने टीम को पूरी सत्यता और अपनी मर्यादा में रहते हुए लीड किया है फिर चाहें वो मेरे करियर के सबसे बेहतर दिन हो या बूरे दिन हों. मैंने अपने कार्यकाल के दौरान अपना सब कुछ दिया है. मैं कभी मैच हारने के बाद पीछे नहीं हटा हूं. मैंने हमेशा टीम को आगे रखा है. हमे बूरे समय में एक साथ रहना चाहिए तभी हमारे दिन बदलेंगे. शायद किसी और दुनियां में मैं टेस्ट सीजन के दौरान या टी-20 विश्वकप के दौरान टीम को लीड करना चाहूं लेकिन कभी-कभी एक बेहतर लीडर की यहीं निशानी होती है कि वो निस्वार्थ होकर सोचे और फैसले ले."
"2019 विश्व कप के बाद मैंने कप्तान के रूप में अपनी भूमिका जारी रखने का निर्णय लिया था जबकि उस वक्त कई वरिष्ठ खिलाड़ियों ने रिटार्यमेंट लिया और टीम पूरी तरह से पुन: निर्माण के दौर से गुजर रही थी मतलब वो सब लोग जिनके साथ हमने काम किया था वो जा रहे थे. मेरे लिए ये महत्वपूर्ण था कि मैं दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट के इस बूरे दौर में खिलाड़ियों के अंदर के लीडर को निखरने का मौका दूं जिससे हमे अगली पीढ़ी के लिए एक नया कप्तान मिल सके."