हैदराबाद: सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को बीसीसीआई की अपने संविधान में संशोधन करने और सौरव गांगुली और जय शाह को अनिवार्य विराम अवधि (कूलिंग ऑफ पीरियड) पर जाने के बजाय अपने पद पर बने रहने को लेकर दायर की गयी याचिका पर बुधवार को सुनवाई होगी.
आपको बता दें कि बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली का कार्यकाल 27 जुलाई को खत्म हो रहा है. वहीं सचिव जय शाह को भी राहत मिलने की उम्मीद है.
बीसीसीआई के नए संविधान के अनुसार राज्य संघ या बोर्ड में छह साल के कार्यकाल के बाद तीन साल की विराम अवधि पर जाना अनिवार्य है.
बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली गांगुली और शाह ने पिछले साल अक्टूबर में पदभार संभाला था और तब उनके राज्य और राष्ट्रीय इकाई में छह साल के कार्यकाल में केवल 9 महीने बचे थे. इस बीच बीसीसीआई ने 21 अप्रैल को शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर शाह और गांगुली के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग की थी.
गांगुली बीसीसीआई अध्यक्ष बनने से पहले 2015 से 2019 तक बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इससे पहले वह 2014 में कैब के संयुक्त सचिव भी रहे हैं. गांगुली ने अक्टूबर 2019 में बीसीसीआई अध्यक्ष का पदभार संभाला था.
वहीं, जय शाह भी बीसीसीआई सचिव से पहले गुजरात क्रिकेट संघ से जुड़े थे. इसी को देखते हुए बीसीसीआई पदाधिकारियों को राहत देने के लिए बोर्ड ने याचिका लगाई थी.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ नहीं जाएगे आदित्य वर्मा
बिहार क्रिकेट संघ के सचिव आदित्य वर्मा ने कहा कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह की विराम अवधि को हटाने के मसले पर जब उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के लिये आएगा तो उनका वकील इसका विरोध नहीं करेगा.
बिहार क्रिकेट संघ के सचिव आदित्य वर्मा वर्मा 2013 स्पॉट फिक्सिंग मामले के मूल याचिकाकर्ता हैं. इसी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा पैनल का गठन किया, जिसकी सिफारिशों पर दुनिया के सबसे धनी बोर्ड के संविधान में आमूलचूल सुधार किए गए. बीसीसीआई के नए संविधान के अनुसार राज्य संघ या बोर्ड में छह साल के कार्यकाल के बाद तीन साल के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड पर जाना अनिवार्य है.