कराची : भारतीय ऑफ स्पिनर आर अश्विन ने आखिरी टीम इंडिया के लिए नीली जर्सी 9 जुलाई 2017 में पहनी थी. लगभग तीन सालों से वो वनडे और टी-20 मैच नहीं खेले हैं. इस बारे में बात करते हुए पाकिस्तान के पूर्व लेग स्पिनर मुश्ताक अहमद ने बताया है कि वे वनडे और टी20 में टेस्ट जैसी सफलता क्यों नहीं हासिल कर पाए.
अश्विन और नाथन लायन जैसे वर्ल्ड क्लास टेस्ट गेंदबाज सीमित ओवर्स में उस सफलता को हासिल नहीं कर पाए. इस बारे में मुश्ताक अहमद ने कहा है कि ऐसा सपाट पिचों पर 'विविधता के अभाव' के कारण हुआ है. अश्विन ने 71 टेस्ट में 365, लायन ने 96 टेस्ट में 390 और पाकिस्तान के यासिर शाह ने 39 टेस्ट में 213 विकेट लिए हैं. ये तीनों गेंदबाज वनडे और टी20 में ऐसी सफलता हासिल नहीं कर सके. मुश्ताक ने कहा, “युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव को देखो. दोनों ने सफेद गेंद से भारत को कई मैच जिताए हैं . लायन, अश्विन और यासिर की गेंदों में शायद वनडे क्रिकेट के लायक विविधता ही नहीं थी.”
इंग्लैंड समेत दुनियाभर में कोचिंग कर चुके मुश्ताक का मानना है कि टेस्ट और सीमित ओवरों के स्पिनर्स को अलग-अलग करना होगा. उन्होंने कहा, “स्पिनरों के लिये सबसे बड़ी चुनौती टेस्ट क्रिकेट है जहां उनकी प्रतिभा की असली परख होती है. यासिर शाह, नाथन लायन, मोईन अली, अश्विन जैसे गेंदबाजों का टेस्ट क्रिकेट में योगदान अपार है.”
मुश्ताक अहमद ने कहा, “कुछ स्पिनर वनडे क्रिकेट में भी सफल रहे हैं लेकिन बदले हुए नियमों के साथ क्रिकेट अब काफी बदल गया है .ऐसे में रहस्यमयी स्पिनर और कलाई के स्पिनर अधिक प्रभावी हो गए हैं. इनमें आदिल रशीद, एडम जंपा, चहल, यादव और शादाब खान शामिल हैं.”
मुश्ताक ने कहा, “आजकल इतना क्रिकेट खेला जा रहा है कि अलग अलग प्रारूप के लिये अलग अलग स्पिनर होने चाहिये. आप पांच छह स्पिनरों को चुनकर उन्हें अलग अलग प्रारूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे उनका करियर भी लंबा होगा.”