हैदराबाद :साउथ अफ्रीका क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज एबी डीविलियर्स आज अपना 36वां जन्मदिन मना रहे हैं. एबी डीविलियर्स का पूरा नाम अब्राहिम बेंजामिन डीविलियर्स है. डीविलियर्स को एबी, एबीडी और मिस्टर 360 डिग्री के नाम से भी जाना जाता है. एबीडी दुनिया के उन चुनिंदा क्रिकेटर्स में से एक हैं जिन्हें दुनिया के हर कोने से प्यार मिलता है. भले ही उनको संन्यास लिए हुए दो साल हो गए हों लेकिन आज भी उनके बल्ले का जलवा सभी के जहन में जिंदा है. आईपीएल के कारण वे भारत में भी काफी लोकप्रिय हैं.
मिस्टर 360 डिग्री पड़ा नाम
एबी का नाम मिस्टर 360 डिग्री पड़ा. वो इसलिए क्योंकि वे बल्लेबाजी करते हुए गेंद को मैदान के किसी भी कोने में पहुंचाने की क्षमता रखता हैं. उनके इसी अंदाज के कारण एबी का नाम मिस्टर 360 डिग्री पड़ा है. क्रिकेट पंडितों का कहना है कि एबी की बल्लेबाजी टेकनीक्स का कोई तोड़ नहीं है.
कैसे मिली खेल से जुड़ने की प्रेरणा
एबी का जन्म साउथ अफ्रीका के वार्मबैड नाम की जगह पर हुआ था. एबी के पिता का नाम अब्राहम बी डिविलियर्स है जो पेशे से एक डॉक्टर हैं और उनकी माता का नाम मिली है जो प्रॉपर्टी डीलर का काम करती थीं. आपको बता दें कि एबी के पिता क्योंकि एक डॉक्टर हैं इसलिए अपने बेटे को फिटनेस के लिए खेलने के लिए प्रेरित किया करते थे. उनके प्रोत्साहन के कारण ही एबी आज क्रिकेट ही नहीं बल्कि टेनिस, स्विमिंग, रग्बी और गोल्फ जैसे खेल भी खेलते थे. गौतरलब है कि एबी ने अपनी पढ़ाई अफ्रीका ब्वॉयज हाई स्कूल से करते थे और इसी स्कूल में उनके टीममेट फाफ डु प्लेसिस भी पढ़ा करते थे.
कैसे बनाया क्रिकेट को करियर
यूं तो एबी टेनिस, स्विमिंग, रगबी और गोल्फ के बेहतरीन खिलाड़ी थे लेकिन उन्होंने क्रिकेट को ही अपना करियर बनाने का फैसला लिया. आपको बता दें कि उन्होंने साल 2003 में टाइटंस क्रिकेट टीम के लिए खेला था. उसके बाद उन्होंने नॉर्थर्न आयरलैंड के क्रिकेट क्लब में खेलते हुए खुद साबित किया और अपने देश की अंतरराष्ट्रीय में जगह बना ली. और 2004 में इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने अपना टेस्ट डेब्यू किया. उन्होंने खुद को न सिर्फ एक बल्ले बल्कि एक फील्डर के तौर पर भी साबित किया.
2007 विश्व कप में डगमगाई थी बल्लेबाजी
एबी की बल्लेबाजी इतनी शानदार थी कि उनके फैंस उनसे काफी उम्मीदें लगाते थे. उनके करियर में एक वक्त ऐसा भी आया था जब उनकी बल्लेबाजी थोड़ी डगमगाई थी. विश्व कप 2007 में वे खराब फॉर्म से जूझ रहे थे और अपने फैंस की उम्मीदों पर बिलकुल भी खरे नहीं उतरे थे. हालांकि उस टूर्नामेंट में उन्होंने एक-दो अच्छी पारियां खेलीं लेकिन वो उनकी प्रतिभा के हिसाब से काफी कम थीं. फिर अगले ही साल 2008 में उन्होंने भारत के खिलाफ टेस्ट मैच में दोहरा शतक लगा कर अपने आलोचकों को चुप करवा दिया. इस टर्निंग प्वॉइंट के बाद उनकी बल्लेबाजी में निखार आया और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.
2010 से लेकर 2015 तक किया क्रिकेट जगत पर राज