नई दिल्ली:वर्ष 2021 में पीवी सिंधू की उपलब्धियों में दूसरा ओलंपिक पदक जुड़ा जबकि किदाम्बी श्रीकांत ने भी ऐतिहासिक विश्व चैम्पियनशिप रजत से फॉर्म हासिल की और लक्ष्य सेन का चमकना जारी रहा लेकिन टीम स्पर्धाओं का लचर प्रदर्शन भारतीय बैडमिंटन के उतार चढ़ाव भरे वर्ष के ग्राफ में गिरावट का कारण रहा.
कोविड-19 महामारी ने उम्मीद के अनुसार अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर को प्रभावित किया जिसमें कई टूर्नामेंट या तो रद्द हो गये या फिर उनके समय में बदलाव किया गया लेकिन भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों ने मौकों का फायदा उठाया, हालांकि वे खिताब जीतने में सफल नहीं हो सके.
रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता सिंधू ने तोक्यो में जहां कांस्य पदक से अगुआई की तो वहीं सत्र के अंतिम विश्व टूर फाइनल में रजत पदक से साल का अंत किया. श्रीकांत और लक्ष्य ने भी विश्व चैम्पियनशप में शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत और कांस्य पदक अपने नाम किये.
यह खुशी का पल था क्योंकि पहली बार दो भारतीय पुरूष खिलाड़ी विश्व चैम्पियनशिप के एक चरण से पदक लेकर लौटे और यह उपलब्धि इससे पहले महिला एकल में सिंधू और साइना नेहवाल ने 2017 ग्लास्गो चरण में हासिल की थी.
हालांकि न तो सिंधू और न ही श्रीकांत या लक्ष्य आगे तक पहुंच सके जिससे भारत का खिताब का सूखा बरकरार रहा.
बल्कि अंतरराष्ट्रीय सर्किट की बहाली के बाद बीडब्ल्यूएफ ने नौ टूर्नामेंटों को 12 सप्ताह के अंदर समेट दिया जिससे कई खिलाड़ियों को चोटों का सामना करना पड़ा.
वर्ष 2019 की विश्व चैम्पियन सिंधू साल के शुरू में थाईलैंड चरण में थोड़ी धीमी रहीं लेकिन जल्द ही वह मार्च में स्विस ओपन के फाइनल में पहुंच गयी. इसके बाद कोरोना वायरस ने तीन ओलंपिक क्वालीफायर निलंबित कर दिये.
टोक्यो ओलंपिक के लिये पहले ही स्थान पक्का कर चुकी सिंधू फिर रियो ओलंपिक के रजत पदक में एक कांस्य और जोड़कर महानतम खिलाड़ियों में शामिल हो गयी.
इसके बाद उन्होंने दो महीने का ब्रेक लिया और वापसी के बाद लगातार अच्छी लय जारी रखी जिसमें वह तीन टूर्नामेंट फ्रेंच ओपन, इंडोनेशिया मास्टर्स और इंडोनेशिया ओपन के सेमीफाइनल में पहुंचीं.
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सिंधू ने फिर सत्र के अंतिम विश्व टूर फाइनल में चमकदार प्रदर्शन किया और रजत पदक जीता.
इससे उम्मीद बंधी हुई थी कि वह विश्व चैम्पियनशिप के अपने खिताब का बचाव कर पायेंगी लेकिन ऐसा नहीं हो सका और वह इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट से 2017 के बाद पहली बार खाली हाथ लौटी.
सिंधू ने स्पेन के हुएलवा में सत्र का अंत क्वार्टरफाइनल तक पहुंचकर किया लेकिन श्रीकांत और लक्ष्य ने इस निराशा की भरपायी की.
वर्ष 2017 में पांच फाइनल्स में से चार में खिताब जीतने के बाद से श्रीकांत फिटनेस और फॉर्म से जूझ रहे थे और वह चोटों और क्वालीफायर रद्द होने के कारण तोक्यो ओलंपिक में स्थान पक्का नहीं कर सके.