रणइंदर सिंह ने अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ (आईएसएसएफ) विश्व कप राइफ/पिस्टल के कार्यक्रम की घोषणा से इतर संवाददाताओं से कहा, " जसपाल (राणा), मनशेर (सिंह), सीमा (तोमर) जैसे अधिकांश भारतीय कोच अभी दिल से और जुनून के साथ काम कर रहे हैं. लेकिन मैं इसमें नहीं पड़ना चाहूंगा. मेरा यह कर्तव्य है कि मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पैसे की व्यवस्था करूं ताकि वे खुश रहें."
उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि भविष्य में हमारे पास विदेशी कोच शून्य होंगे. हमें खुद को ऐसी स्थिति में लाना होगा, जहां भारत अपने ज्ञान के धन पर आत्मनिर्भर हो. हालांकि, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि विदेशी कोच कम हैं."
विदेशी कोचों से खुश नहीं हैं एनआरएआई अध्यक्ष - foreign shooting coaches
नई दिल्ली: भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) के अध्यक्ष रणइंदर सिंह ने भारतीय कोचों को अधिक से अधिक वेतन के माध्यम से आत्मनिर्भर होने पर जोर देते हुए शनिवार को कहा कि वह विदेशी कोचों से खुश नहीं हैं. खेल जगत में कॉपोर्रेट निवेश का स्वागत करते हुए सिंह ने कहा कि भारत और चीन एकमात्र ऐसे देश हैं जो खेलों के लिए सरकारी धन पर निर्भर हैं.
कोचों के वेतन में असमानता
रणइंदर सिंह ने अपने विदेशी कोचों की तुलना में भारतीय कोचों के वेतन में असमानता पर ध्यान दिया, जिन्हें लगभग 4.5 लाख रुपये प्रति माह का भुगतान किया जाता है. रनिंदर ने कहा, "हमें यह समझना चाहिए कि इन कोचों के भी परिवार हैं. आप 40,000 रुपये प्रति माह में एक परिवार नहीं चला सकते. ये व्यावहारिक मुद्दे हैं. लेकिन महासंघ के प्रमुख होने के नाते मेरा यह कर्तव्य है कि मैं यह सुनिश्चित करूं कि यह और ज्यादा ऊपर न हो."
यहां डॉ करणी सिंह शूटिंग रेंज में 23 फरवरी के लिए पहली फाइनल स्लेट के साथ प्रतियोगिता सही मायनों में शुरू होगी जिसमें 58 देशों के 495 एथलीट भाग लेंगे. इस प्रतियोगिता में टोक्यो ओलिंपिक-2020 के लिए 16 सीटें दांव पर होंगी.