मुंबई : अपने सपनों को साकार करने के लिए पश्चिम बंगाल की एक लड़की मॉडलिंग में करियर बनाने के लिए मुंबई आई थी. जहां युवती को प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा. इस मामले में युवती ने शिकायत की. हालांकि युवती को वहां न्याय नही मिला. जिसके बाद युवती ने बंदी प्रत्यक्षीकरण पीड़िता को अदालत में पेश करने की मांग करते हुए मुंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है.
हालांकि, की कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपी ने पीड़िता को उसकी पत्नी बताते हुए उसे कोर्ट में पेश किया. जिसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी, और याचिकाकर्ता के वकील, पुलिस और अन्य प्रतिवादियों को मामले में हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए . पीड़ित लड़की की तरफ से वकील नवीन चोमल ने मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर की है.बीते दिनों पीड़िता मुंबई में मॉडलिंग में करियर बनाने आई थी.
इस दौरान लड़की की मुलाकात साकीनाका इलाके के विवाहित व्यक्ति से हुई. लड़की का आरोप है कि व्यक्ति ने मदद का झांसा देकर उसके साथ यौन शोषण किया. पीड़िता के वकील के मुताबिक आरोपी ने उस दौरान उसका वीडियो बनाकर भाई को भेज दिया था. पीड़िता ने आरोपी के भाई पर वीडियो के आधार पर ब्लैकमेल कर उसका यौन शोषण करने का भी आरोप लगाया है.
उस दौरान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील नवीन चोमल ने लड़की के लापता होने का आरोप लगाते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर पुलिस को लड़की की तलाश करने और उसे अदालत में पेश करने का निर्देश देने का आदेश देने की मांग की थी. यह याचिका न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई थी.
चोमल की याचिका के अनुसार, पीड़िता 17 साल की है और मॉडल-अभिनेत्री बनने के सपने को साकार करने के लिए मुंबई आई थी. आरोपी शमशुल्लाह चौधरी से उसका परिचय कराया गया. आरोपी शमशुल्लाह चौधरी, उसके भाई रमजान चौधरी और उसके पिता जैनुल्ला चौधरी ने नाबालिग लड़की के साथ बार-बार दुर्व्यवहार किया. शमसुल्लाह पेशे से वकील हैं और ज़ैनुल्ला एमआईएम के स्थानीय नेता हैं.
कुछ दिन पहले लड़की लापता होने का आरोप लगाते हुए कोर्ट पहुंची थी. जहां आरोपित शम्सुल्ला चौधरी की तरफ से अधिवक्ता रिजवान मर्चेंट ने आधार कार्ड का हवाला देते हुए खारिज कर दिया. आधार कार्ड में लड़की 19 साल की है और नाबालिग नहीं है.
इतना ही नहीं, आरोपी और पीड़ित लड़की अदालत में पेश हुई और वकील द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर आपत्ति जताई, जिसमें दावा किया गया था कि वे दोनों पति और पत्नी हैं. इसके बाद वकील चोमल के पास ऐसी याचिका दायर करने का कोई कारण नहीं है.
वकील चोमल लड़की के माता-पिता या रिश्तेदार नहीं हैं. इसलिए उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि याचिका खारिज की जाए. वही, दोनों पक्षों को सुनने के बाद, अदालत ने मुंबई पुलिस और अन्य प्रतिवादियों को अपनी स्थिति बताते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.