कोझिकोड (केरल):केरल के मुस्लिम लोक गीतों 'मप्पिला पट्टू' के बेताज बादशाह माने जाने वाले वीएम कुट्टी का बुधवार को यहां एक निजी अस्पताल में दिल की बीमारी के कारण निधन हो गया. पारिवारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी.
वीएम कुट्टी 86 वर्ष के थे। मलप्पुरम जिले के कोंडोट्टी के पास पुलिक्कल के रहने वाले कुट्टी ने 'मप्पिला पट्टू' को लोकप्रिय बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया, जो विशेष रूप से मालाबार (उत्तरी केरल) में राज्य के मुस्लिम समुदाय की सांस्कृतिक पहचान है.'मप्पिला पट्टू' एक लोकगीत मुस्लिम गीत शैली है, जिसे अरबी भाषा के साथ मलयालम की बोलचाल की बोली में गाया जाता है.
कुट्टी पहले एक स्थानीय स्कूल में शिक्षक थे. इसके बाद, उन्होंने सदियों पुरानी अरब-मूल के संगीत में शोध के माध्यम से 'मप्पिला गीतों' की रचना की. 20 साल की उम्र में रेडियो पर 'मप्पिला पट्टू' की प्रस्तुति से उनके कलात्मक जीवन की शुरुआत हुई.
उन्होंने ही पहली बार 'मप्पिला पट्टू' को मंच पर प्रस्तुत किया था और दक्षिणी राज्य में इसके लिए एक संगीत मंडली का भी गठन किया था. कई वर्षों तक, उन्होंने प्राचीन लोक गीतों को भी लोकप्रिय बनाया, जो तब कुछ मुस्लिमों तक ही सीमित था. कुट्टी ने 1000 से अधीक गीत और कई किताबें भी लिखी हैं, 'मप्पिला पट्टिन्टे लोकामी' 'भाथीगीतांगल', 'कुरुथिकुंजु' और 'बशीर माला' उनकी प्रसिद्ध किताबों में से हैं.' संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार' से सम्मानित कुट्टी ने लंबे समय तक 'इंस्टीट्यूट ऑफ मप्पिला स्टडीज' में सचिव के रूप में भी अपनी सेवाएं दी.
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि कुट्टी एक प्रतिभाशाली व्यक्ति थे. जिन्होंने 'मप्पिला पट्टू' को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और संगीत शैली को नई ऊंचाइयों पर ले गए.