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Flim Review: कबीर सिंह का प्यार तो प्रीति की मासूमियत ने जीता दिल

Kabir singh film review

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Published : Jun 21, 2019, 12:42 PM IST

मुंबई : फिल्म 'कबीर सिंह' आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. फिल्म रिव्यू से पहले आपको बता दें कि संदीप वांगा रेड्डी की तेलुगू फ़िल्म 'अर्जुन रेड्डी' के रीमेक 'कबीर सिंह' में शाहिद कपूर ने जो काम किया है. इसे उनका अब तक का बेस्ट काम कहा जा सकता है.

जी हां...संदीप रेड्डी ने ही अर्जुन रेड्डी का निर्देशन किया था और कबीर सिंह को भी उन्होंने ही निर्देशित किया है क्योंकि कबीर सिंह का जो जुनून है वो परदे पर कोई और प्रस्तुत कर ही नहीं सकता है. खासकर दिल टूटने वाले सीन को जिस तरह उन्होंने लिखा है वो परदे पर साफ़ नज़र आता है. तीन घंटे की ये फ़िल्म देखते ही देखते आपको टाइम का पाता ही नहीं चलता है.

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फिल्म में शाहिद ने जिस तरह से कबीर का ग़ुस्सा, प्यार और जुनून को परदे पर जिया है. शायद और कोई ये स्वैग परदे पर नहीं ला सकता था. वहीं कियारा आडवाणी प्रीति के रोल में जंची हैं. फ़िल्म में उनके डायलॉग्स बहुत कम हैं, लेकिन कियारा ने बिन बोले ही प्रीति के किरदार को बख़ूबी जिया है. जब भी वो परदे पर होती हैं अपनी मासूमियत से वो आपका दिल जीत लेंगी.

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बात अगर फिल्म के दूसरे किरदार की करें तो कबीर सिंह के भाई करन के रोल में अर्जन बाजवा ने भी बहुत अच्छा काम किया है. वहीं कबीर सिंह की लाइफ़ में जितने भी लोग हैं, उसकी मां, पिता (सुरेश ओबेरॉय), कबीर की दादी उसके दोस्त हर किरदार आपको रीयल लगेगा, सबने अपने अपने रोल में उतनी ही मेहनत की है.

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संदीप ने छोटी से छोटी चीज़ों का ध्यान रखा है, बॉलीवुड में आपने ऐसी लव स्टोरी पहले नहीं देखी होगी. फ़िल्म के क्लाइमैक्स से पहले एक सीन आता है, जहां कबीर अपने पिता से बात करता है. ये सीन कबीर के किरदार को नए तरीक़े से परिभाषित करता है. यहां आपको समझ आता है कि लाइफ़ को लेकर कबीर का विज़न क्या है.

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कबीर को इतना ग़ुस्सा आता है और ग़ुस्से में वो कुछ भी बोल देता है, लेकिन फिर भी उसे देखकर लगता है कि ये बिलकुल हम जैसा है हर किसी की ज़िंदगी में ऐसा फ़ेज़ आता है. कबीर सिंह की कहानी उसी फ़ेज़ की है. हम यूं कहें तो बॉलीवुड में ये ऐसी लब स्टोरी है, जो आपको अंदर तक हिलाकर रख देगी.

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