मुंबई : 'जाने भी दो यारों', 'मासूम', 'अ वेडनसडे', 'स्पर्श', 'इश्किया', 'इक्बाल', 'मंडी', 'जुनून', 'अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है', 'अर्ध सत्य', 'सरफरोश', 'कर्मा' और 'मोहरा' ये वो हिंदी सिनेमा की कुछ बेहतरीन फिल्में हैं, जिन्हें देखकर आपको लगेगा कि बॉलीवुड में सिनेमा और एक्टिंग का लेवल बहुत ऊपर है और इन फिल्मों का जिक्र करते ही याद आ जाते हैं वो दसियों कैरेक्टर जिन्हें पर्दे पर दर्शकों के सामने पेश किया वन ऑफ द बेस्ट एक्टर ऑफ हिंदी सिनेमा, द वन एंड ओनली नसीरूद्दीन शाह.
1975 की श्याम बेनेगल की फिल्म 'निशांत' से नसीर साहब ने अपने फिल्मी सफर की शुरूआत कर 1980 में फिल्म 'हम पांच' से मेनस्ट्रीम सिनेमा में कदम रखने वाले वर्सटाइल मास्टरक्लास एक्टर और थियेटर आर्टिस्ट नसीर साहब का जन्म आज के दिन यानी 20 जुलाई 1950 को यूपी के बाराबंकी जिले में हुआ. अपनी स्कूलिंग नैनीताल के सेंट जोसेफ कॉलेज से पूरा करने के बाद नसीर साहब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट हुए और इसके बाद नसीर साहब दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा भी गए.
फिल्मों में 'जाने भी दो यारों', 'मासूम', 'अ वेडनसडे', 'स्पर्श', 'इश्किया', 'इक्बाल', 'मंडी', 'जुनून', 'अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है', 'अर्ध सत्य', 'सरफरोश', 'कर्मा' और 'मोहरा' के साथ-साथ टीवी में मिर्जा गालिब और भारत एक खोज इनका मशहूर और ब्रिलियंट काम रहा है.
फिल्म और टीवी के अलावा थियेटर में वेटिंग फॉर गोडोट, महात्मा वर्सेस गांधी, डियर लायर, आइंस्टीन और अ वॉक इन द वुड्स इनका रिमार्केबल काम है.