मुंबई: मेगास्टार अमिताभ बच्चन मेट्रो कंस्ट्रक्शन का समर्थन करने के लिए विवादों में घिर गए हैं. जहां एक तरफ लोग रेल की नई पटरियों को बिछाने के लिए आरे जंगल में पेड़ों को काटने का विरोध कर रहे हैं, वहां अमिताभ का मुंबई में मेट्रो कंस्ट्रक्शन के समर्थन में अपनी बात रखने पर बुधवार की सुबह से ही लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं.
फिल्मकार अशोक पंडित ने ट्वीट किया, "सम्माननीय सीनियर बच्चन सर, हम हैशटैगसेवआरे के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ताओं के रूप में जानना चाहते हैं कि क्या आप आरे में हैशटैगमेट्रोकारशेड का समर्थन करते हैं? जब एक विकल्प है तो फिर 2700 बड़े-बड़े पेड़ों की हत्या क्यों? प्रकृति की कीमत पर विकास मानव जाति के लिए खतरनाक है."
दरअसल, पंडित का यह जवाब मंगलवार को अमिताभ बच्चन द्वारा किए गए एक ट्वीट के बाद आया जिसमें उन्होंने लिखा था, "मेरे एक दोस्त को मेडिकल एमरजेंसी थी, उसने कार के बदले मेट्रो से जाने का फैसला लिया. वापस आया तो वह मेट्रो से काफी प्रभावित दिखा और कहा कि यातायात करने का यह एक तेज, सुविधाजनक और कुशल साधन है. प्रदूषण का समाधान, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं, मैंने अपने बगीचे में लगाए हैं, क्या आपने ऐसा किया है?"
इसके जवाब में मुंबई मेट्रो के आधिकारिक ट्विटर अकांउट से ट्वीट कर कहा गया, "सीनियर बच्चन हमें खुशी है कि आपातकालीन स्थिति में आपके दोस्त मेट्रो पर भरोसा कर सके और इस अनुभव को मुंबईवासियों संग साझा करने के लिए आपका धन्यवाद."
इस बात के लिए आरे कार्यकर्ताओं ने बुधवार को अमिताभ बच्चन के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.एक यूजर ने ट्विटर पर लिखा, "क्या होगा अगर मरीज की मौत मेट्रो में हो जाए या अगर वह किराया देने में सक्षम न हो, इन सबके बदले आरे जंगल के जनजातियों को अस्पताल उपलब्ध कराया जाए जो मुफ्त में उनकी सेवा करें. मानवता के साथ बने रहिए अमिताभ बच्चन क्योंकि पैसा ही जिंदगी में सबकुछ नहीं है."बता दें कि एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2010 में अमिताभ मेट्रो निर्माण का विरोध कर चुके हैं. उस वक्त उनका यह कहना था कि उनके बंगले (प्रतीक्षा) के बगल में रेल की एक पटरी बिछाई जा रही है, इससे उनकी निजता पर असर पड़ेगा.गौरतलब है कि इस सप्ताह की शुरुआत में, अभिनेत्री कैटरीना कैफ और अर्जुन रामपाल जैसे कई सितारे प्रस्तावित मेट्रो कार शेड परियोजना को समायोजित करने के लिए आरे कॉलोनी में 2,700 पेड़ों को काटने के मुंबई नागरिक निकाय के फैसले पर निराशा व्यक्त करते नजर आए थे.