न्यू साइंटिस्ट, यूके : 2020 के अंत के साथ, हमें यह उम्मीद है कि आने वाला साल हमें कोरोना से मुक्त करेगा. न्यू साइंटिस्ट ने कोरोना वायरस के शुरुआत से लेकर, अब तक के सफर का पूरा ब्योरा पेश किया है, जो इस प्रकार है.
दिसंबर 2019
चीन के वुहान में निमोनिया का एक रहस्यमयी मामला सामने आया. डॉक्टरों को संदेह था कि इसका कारण एक नया माइक्रोब है. इसका दुष्प्रभाव हुनान सीफूड मार्केट में देखने को मिला, जहां जीवित जानवर भी बेचे जाते हैं.
31 दिसंबर 2019
चीन ने निमोनिया के मामलों के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को सूचित किया. इस पर, अधिकारियों का कहना था कि लोगों के बीच इसके फैलने का कोई स्पष्ट सबूत नहीं है. अगले दिन, हुनान सीफूड मार्केट को दवाइयों के छिड़काव के लिए बंद कर दिया गया.
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9 जनवरी 2020
चीन ने कोरोना वायरस के फैलने के लिए जिम्मेदार, माइक्रोब की पहचान की. यह, उसी तरह का वायरस था, जिसके कारण 2002 से 2004 तक महामारी, सार्स फैली थी. जल्द ही, शोधकर्ताओं ने नए वायरस के जीनोम के पहले ड्राफ्ट को प्रकाशित किया. यह आनुवंशिक परीक्षण करने का एक प्रारंभिक कदम था.
मिड-जनवरी 2020
कोरोनावायरस चीन के बाहर फैलता गया, थाईलैंड, जापान और दक्षिण कोरिया में इसके मामलें दर्ज किए गए. वुहान में वायरस के चपेट में आए संक्रमित लोगों ने बताया कि वह जानवरों के संपर्क में नहीं थे. इससे यह पता चला कि वायरस अब लोगों से भी फैल रहा है.
जनवरी 2020 के आखिर में
कई अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ कि जानवरों में उत्पन्न होने वाला नया कोरोना वायरस अब एक दूसरे के संपर्क से भी फैल रहा था. डब्ल्यूएचओ ने इसे 30 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय चिंता का एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया. इसकी वजह थी, चीन के अलावा और 18 अन्य देशों ने वायरस के मामलों की पुष्टि.
फरवरी 2020
ऑस्ट्रिया और इटली में स्की रिसॉर्टस (जहां बर्फ पर स्केटिंग होती है) से बहुत सारे वायरस के मामले सामने आए. स्की रिसॉर्टस से आने वाले यात्री, अपने साथ वायरस को अपने-अपने घर ले गए. ऑस्ट्रिया का रिसॉर्ट, इस्गल, 45 देशों में हजारों कोरोना वायरस के मामलों का कारण बना. कुछ रिसॉर्ट्स को जल्द से जल्द खाली कराया गया.
11 मार्च 2020
डब्ल्यूएचओ ने आधिकारिक तौर पर महामारी की घोषणा की. उत्तरी इटली में मामले इतनी तेज़ी से बढ़ रहे थे कि कुछ अस्पताल में वेंटिलेटर बेड की कमी हो गई. न्यूयॉर्क के अस्पतालों में भी इस महामारी से लड़ने के साधन पूरे नहीं पड़े.
मिड मार्च 2020
कई देशों ने वायरस को फैलने से रोकने के प्रयास में बहुत सी पाबंदियां लगाई. लोगों को घर पर रहने का आदेश दिया. केवल आवश्यक कार्य करने के लिए, भोजन, दवाइयां और अन्य चीजों को खरीदने के लिए ही बाहर जाने की अनुमति दी.
अप्रैल 2020
वायरस के तेजी से बढ़ने के कारण, लोगों ने अपने चहरे पर मास्क लगाना शुरू कर दिया. वहीं कुछ एशियाई देशों में यह विवाद का विषय भी था. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन ने सलाह दी कि जब संभव हो, लोग मास्क पहने रखें.
8 जून 2020
न्यूजीलैंड ने कोविड -19 से मुक्त होने की घोषणा की और ज्यादातर प्रतिबंधों को हटा दिया. यह दर्शाता हैः, देश सख्त प्रतिबंधों के साथ वायरस को समाप्त कर सकते हैं. हालांकि, इसके बाद से दूसरे देशों से आने वाले करोना वायरस के मामले सामने आए. इसी कारण न्यूजीलैंड को आगे लॉकडाउन लागू करने की आवश्यकता पड़ी.
जून 2020
एक स्टेरॉयड दवा, डेक्सामेथासोन, जो इम्यून सिस्टम की क्षमता को बढ़ाता है, वह कोविड -19 के इलाज की पहली दवा बनी. वही एंटीवायरल एजेंट रेमडेसिविर ने भी तेजी से रिकवरी के संकेत दिखाएं. हालांकि, इस बात को लेकर संदेह था कि यह एंटीवायरल एजेंट कोविड-19 के लिए काम करेगा या नहीं.
अगस्त 2020
उत्तरी गोलार्ध (हेमिस्फीयर) की गर्मियों के दौरान, कई देशों में संक्रमण और मौतों की दर बहुत कम हो गई. इस कारण, कई प्रतिबंधों को कम कर दिया गया था. यूके में सरकार ने लोगों को रेस्तरां जाने के लिए प्रोत्साहित किया और इसके लिए खाने के बिलों पर छूट भी दी.
अक्टूबर 2020
यूरोप के कई देशों और अमेरिका के कुछ हिस्सों में संक्रमण की दूसरी लहरें दिखाई दी, जो कोरोना की पहली लहर से भी ज्यादा थी. इस कारण कड़क प्रतिबंधों को फिर से लगाया गया. ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया राज्य में वायरस के आंतरिक मामलों की संख्या शून्य हो गई.
नवंबर 2020
तीन उम्मीदवारों पर वैक्सीन के सकारात्मक परिणाम जारी किए गए. इसमें से पहला परिणाम फाइजर और बायोटेक द्वारा था, दूसरा मॉडर्न द्वारा था और तीसरा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका द्वारा था. पहले दो वैक्सीन mRNA(मैसेंजर आरएनए, शरीर में प्रोटीन सिंथेसिस में मदद करता है) पर आधारित हैं, जो कोशिकाओं को वायरस की सर्फेस प्रोटीन बनाने के लिए कहता है और इम्यून प्रतिक्रिया को बढ़ाता है.
फेस मास्क के उपयोग में बढ़ोतरी
एशियाई देशों में मास्क पहनना आम बात है. लेकिन, अब लगभग सभी देशों में लोग मास्क पहन रहे हैं. हालांकि, कोरोनावायरस के बाद से मास्क के इस्तेमाल में इजाफा हुआ है.
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