वाशिंगटन: नासा ने कहा कि वह अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लगभग 98 प्रतिशत मूत्र और पसीने को पीने के पानी में बदलने में सफलता प्राप्त की है. यह भविष्य में चंद्रमा और मंगल पर आगामी मिशनों के लिए काफी मददगार हो सकता है. यह उपलब्धि अंतरिक्ष स्टेशन के पर्यावरण नियंत्रण और जीवन रक्षक प्रणाली- ECLSS द्वारा हासिल की गई है जिसके हार्डवेयर में जल पुनर्चक्रण प्रणाली शामिल है.
यह प्रणाली अपशिष्ट जल एकत्र करती है और इसे वॉटर प्रोसेसर असेंबली- WPA में भेजती है, जो पीने योग्य पानी का उत्पादन करती है. एक विशेष घटक चालक दल की सांस में मौजूद नमी और पसीने से केबिन की हवा में जारी नमी को पकड़ने के लिए उन्नत डी-ह्यूमिडिफ़ायर का उपयोग करता है. एक अन्य उपप्रणाली, मूत्र प्रोसेसर असेंबली- UPA , वैक्यूम आसवन का उपयोग करके मूत्र से पानी निकालती है. आसवन से पानी और मूत्र का नमकीन पानी बनता है जिसमें अभी भी कुछ पुनः प्राप्त करने योग्य पानी होता है . इस बचे हुए अपशिष्ट जल को निकालने के लिए विकसित ब्राइन प्रोसेसर असेंबली- BPA का उपयोग करके, अंतरिक्ष यात्रियों ने 98 प्रतिशत जल पुनर्प्राप्ति लक्ष्य हासिल किया, जो पहले "93 और 94 प्रतिशत के बीच" था.
अंतरिक्ष स्टेशन की जीवन रक्षक प्रणाली का प्रबंधन करने वाले जॉनसन स्पेस सेंटर की टीम के सदस्य क्रिस्टोफर ब्राउन ने कहा, "जीवन समर्थन प्रणालियों के विकास में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है." ब्राउन ने कहा, “मान लीजिए कि आप स्टेशन पर 100 पाउंड पानी इकट्ठा करते हैं. आप उसमें से दो पाउंड खो देते हैं और बाकी 98 प्रतिशत यूं ही घूमता रहता है. इसे चालू रखना एक बहुत बढ़िया उपलब्धि है.''