नई दिल्ली : आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने ऊंचाई और सूखे के बीच संबंधों का अध्ययन किया है. यह अध्ययन भारत में सिंधु नदी के प्रवाह क्षेत्र पर केंद्रित है. आईआईटी के मुताबिक ऊंचाई वाले क्षेत्र सूखे के लिए संवेदनशील है. सिंधु नदी के प्रवाह क्षेत्र भारतीय उपमहाद्वीप में कृषि उत्पादकता और जल आपूर्ति के मामले में अत्यधिक महत्व रखता है. इस क्षेत्र में 93 से 8,489 मीटर तक ऊंचाई की है.
जनसंख्या में लगातार वृद्धि के साथ ही पानी की मांग में भी लगातार वृद्धि हो रही है किन्तु इसकी उपलब्धता सीमित है. इसके साथ ही वैश्विक जलवायु परिवर्तन और बाढ़ और सूखे जैसे अत्यधिक जल संबंधित घटनाओं के कारण मानव समाज को खतरा पैदा हो रहा है.
शोध टीम ने सूखे के पैटर्न का अध्ययन करने के लिए (1979-2020) 42 वर्षों की मासिक वर्षा और अधिकतम और न्यूनतम तापमान के व्यापक डेटा का उपयोग करने के लिए सांख्यिकीय तकनीकों का इस्तेमाल किया है. सूखे की मात्रा का निर्धारण जलवायु जल संतुलन पर आधारित सूखे के संकेतक का उपयोग करके किया गया था, जो सूखे को समझने के लिए महत्वपूर्ण होता है.
अपने शोध के बारे में बात करते हुए आईआईटी मंडी के डॉ. विवेक गुप्ता ने कहा, हमने सूखे और ऊंचाई के बीच एक मजबूत संबंध को देखा है. 2,000 मीटर से नीचे के क्षेत्रों में नमीं की स्थिति देखी गई, जबकि 2,000 और 6,000 मीटर के बीच की ऊंचाई में शुष्क स्थिति देखी गई. हालांकि, 4,000 मीटर से ऊपर की ऊंचाई पर सूखे की दर धीमी थी.