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AK47 : क्यों दुनियाभर के सैनिकों की पसंदीदा है क्लाशिनिकोव की बनाई एके-47 - MAJOR BHARAT CINGIREDDY news

एके 47 को दुनिया के सबसे घातक और बेजोड़ हथियारों में माना जाता है. सैनिकों की पसंद की बात करें तो ये उनका भी सबसे पसंदीदा हथियार है. कैसे हुआ इसका आविष्कार. किसने बनाया और इस घातक हथियार की खासियत क्या है? सेना मेडल से सम्मानित मेजर भरत सिंगिरेड्डी (सेवानिवृत्त) इस विशेष लेख में अपने अनुभव के साथ पूरी जानकारी साझा कर रहे हैं.

AK47
एके 47

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 23, 2023, 5:04 PM IST

Updated : Sep 25, 2023, 5:14 PM IST

हैदराबाद :विश्व स्तर पर सबसे अधिक पहचानी जाने वाली और पसंदीदा राइफल एके 47 के साथ मेरा प्यार अटूट है. बख्तरबंद कोर और फिर राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और बाद में भारतीय विशेष बलों में सेवा करने का अवसर मिलने के बाद, मैं भाग्यशाली था कि मुझे सभी तरह के हथियारों को संभालने का अवसर मिला. मैं नेशनल सिक्योरिटी गार्ड में रहते हुए हेकलर एंड कोच एमपी5 से आकर्षित था, जो काफी हद तक शहरी परिवेश के लिए अनुकूल एक करीबी लड़ाकू हथियार था.

हालांकि यह एके 47 थी, जिसने वास्तव में मेरा दिल चुरा लिया और घाटी में मुझे लंबे समय तक इस्तेमाल का अवसर मिला. यह सिर्फ मैं ही नहीं हूं, मेरे सभी विशेष बल के सहकर्मी भी मेरे प्यार (एके 47) को साझा करते हैं और दुनिया भर की मिलिशिया और सेनाएं भी इसे पसंद करती हैं.

क्लाशिनिकोव ने इसलिए बनाई एके47 :द्वितीय विश्व युद्ध के एक अनुभवी रूसी सैनिक सीनियर सार्जेंट (बाद में लेफ्टिनेंट जनरल) मिखाइल क्लाशिनिकोव (Mikhael Kalashnikov) ने एके 47 का आविष्कार किया था. इसका भी बड़ा कारण बना तत्कालीन रूसी हथियारों से लड़ने की उनकी व्यक्तिगत निराशा, जिन्हें वह व्यक्तिगत रूप से उस काल की जर्मन राइफलों से कमतर मानते थे. मिखाइल क्लाशिनिकोव एक टिंकरर था और उसने अपना जीवन ट्रैक्टरों के मैकेनिक शेड में शुरू किया था. बाद में वह रेड आर्मी में टैंक कमांडर बन गए. जब वह एक अस्पताल में घायल अवस्था में पड़े थे और उन्होंने अविश्वसनीय रूसी राइफलों की कहानियां सुनीं, तब उन्होंने ऐसे हथियार का आविष्कार करने की सोची जो आगे चलकर युद्ध में एक किंवदंती बन गया.

दरअसल उस समय रूसी सेना एक प्रोग्राम चलाती थी, जिसके तहत वह युवा आविष्कारकों को बेहतर हथियारों के लिए अपने डिजाइन और योजनाएं प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित करती थी. मिखाइल क्लाशिनिकोव 1947 में इसका डिजाइन लेकर आए थे. 1949 तक उनके इस डिजाइन को रूसी सशस्त्र बल के लिए मानक इश्यू असॉल्ट राइफल के रूप में स्वीकार कर लिया गया था.

ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि एके 47 में ऐसी क्या खासियत है जो इसे अधिकतर सैनिकों की इतनी लोकप्रिय पसंद बनाती है? आंकड़ों की बात करें तो यह 106 देशों (आधिकारिक तौर पर 55) की पसंद का हथियार है और दुनिया भर में अनुमानित 100 मिलियन इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. एके 47 को परिभाषित करने के लिए तीन शब्द पर्याप्त होंगे. मजबूत, विश्वसनीय और बेजोड़. आइए थोड़ा गहराई से देखें कि इन शब्दों का वास्तव में क्या मतलब है.

सरल और आसान:सबसे अच्छा उपकरण वह नहीं होता जो जटिल हो, बल्कि वह होता है जो उपयोग में सबसे सरल हो. एके 47 इस पर बिल्कुल फिट बैठती है. यह उपयोग करने के लिए एक बहुत ही सरल हथियार है, इसमें कोई जटिल उपकरण या पार्ट का इस्तेमाल नहीं होता है. यही वजह है कि इसे सैनिक खुद आसानी से साफ और रिपेयर कर सकते हैं. यह एक लार्जिश लीवर के मूवमेंट के साथ सेफ मोड से फायर मोड या यहां तक ​​कि ऑटो मोड में चली जाती है जिसे सभी मौसम की स्थिति में संचालित किया जा सकता है (क्या आप जानते हैं कि आधे इंच आकार के सेफ्टी लीवर को ठंडे तापमान में संचालित नहीं किया जा सकता है जिससे युद्ध की तैयारी कम हो जाती है, और सैनिक की क्षमता प्रभावित होती है). इससे 400 मीटर तक के दुश्मन को निशाना बनाया जा सकता है. क्रेफ्टी नोजेल ब्रेक बर्स्ट मोड में हथियार के दाहिने हाथ की चढ़ाई को कम करता है.

कहीं भी इस्तेमाल :इसका इस्तेमाल आसान है. किसी लक्ष्य को 100 या 400 मीटर की दूरी पर निशाना बनाया जा सकता है (इसकी तुलना एम 4 कार्बाइन से करें जिसमें 200 मीटर और 400 मीटर के लिए केवल दो सेटिंग्स के साथ एक फोल्डिंग दृष्टि है) इसका उपयोग लगभग हर वातावरण में किया जा सकता है चाहे वह युद्ध का मैदान हो, जंगल हो, रेगिस्तान हो, पहाड़ हो, बर्फ हो या शहरी वातावरण हो.

इसे चलाने के लिए किसी खास ट्रेनिंग की भी जरूरत नहीं है. गांव का सामान्य आदमी भी इसे आसानी से चला सकता है. इसका उपयोग यूबीजीएल (अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर) जैसे अतिरिक्त फिटमेंट के साथ किया जा सकता है जो हथियार के सीजी (गुरुत्वाकर्षण केंद्र) को नहीं बदलता, जो हथियार के बुनियादी प्रदर्शन से समझौता किए बिना एक इन्फैंट्री सैनिक की लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है. (उदाहरण के लिए, एक टैवर सीजी को यूबीजीएल के साथ आगे शिफ्ट करता है जो टारगेट की क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है)

टिकाऊपन:एके 47 को बनाने के लिए जिस भी धातु का उपयोग किया गया है, वह इसे किसी चमत्कार से कम नहीं बनाता है. बैरल की शेल्फ लाइफ कभी खत्म होने वाली नहीं है. इसके पार्ट इतने मजबूत हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि यह परिस्थिति में आपका साथ देंगे. इंसास प्लास्टिक भागों के विपरीत ये कहीं से भी गिर जाए टूटेगी नहीं. इसे ज्यादा साफ करने की भी जरूरत नहीं है. जबकि एम4 में बहुत सारी सफाई की आवश्यकता होती है.

कभी फेल नहीं होती : एके 47 कभी फेल नहीं होती. यहां तक ​​कि चैंबर में फंसा एक राउंड भी एके को अगला राउंड फायर करने से नहीं रोकता है, जो कि किसी भी हथियार के लिए बड़ी बात है.

सस्ती और बेजोड़ :एके 47 शायद आज उत्पादन में सबसे सस्ता हथियार है. ब्लैक मार्केट में 1000 अमेरिकी डॉलर से भी कम कीमत पर उपलब्ध यह हथियार कई लोगों का पसंदीदा बन गया है.

मिखाइल क्लाशिनिकोव का इंजीनियरिंग दिमाग हमेशा लड़ाकू सैनिक के लिए प्रतिद्वंद्वी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए समाधान की तलाश में रहता था. पूर्णता के लिए उनकी खोज के परिणामस्वरूप एके 47 का आविष्कार हुआ जो मानव जाति के इतिहास में सबसे टिकाऊ और घातक हथियार बन गया. जब तक मानव जाति सबसे दुर्गम और बीहड़ स्थानों में लड़ना जारी रखेगी, एके 47 का अस्तित्व बना रहेगा. एके47 राइफल दुनिया के पसंदीदा छोटे हथियारों के रूप में स्थान रखती है.

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Last Updated : Sep 25, 2023, 5:14 PM IST

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