ताइज (Taiz): संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने अपने रिपोर्ट में यमन को बच्चों के लिए सबसे खराब देश घोषित किया है. रिपोर्ट के अनुसार यमन में बच्चे अपने मानवाधिकारों से वंचित हैं.
दरअसल, रिपोर्ट यह बताती है कि यमन युद्ध-संघर्षों के बाद पूरी तरह बर्बाद हो चुका है. यहां 1.20 करोड़ से अधिक बच्चों को तत्काल मानवीय सहायता की आवश्यकता है.
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने बाल अधिकारों का विषय 1989 कन्वेंशन में अपनाया था. उसके बाद यूनिसेफ 30 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहा है. हालांकि, यमन के नागरिकों की दुर्दशा सुर्खियों में रहती है.
देश के दक्षिण-पश्चिमी शहर ताइज में एक स्कूल खंडहर में स्थित है. यह बच्चों के कठिनाइयों को दर्शाने का एक और उदाहरण है. बच्चे क्षतिग्रस्त इमारतों के बीच भी पढ़ाई करते हैं, लेकिन शिक्षा के लिए यह माहौल अच्छा नहीं है.
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यमन के हालात पर यूएन
यूनिसेफ ने एक बयान में कहा, 'यहां लगातार चल रही क्रूर संघर्ष और उसके बाद के आर्थिक संकटों ने बच्चों पर दूरगामी प्रभाव छोड़ा है. इसके साथ देश भर में बुनियादी सेवा और सामाजिक व्यवस्था भी धराशायी हो गयी है.'
यूनिसेफ यमन के प्रतिनिधि सारा बेयसोलो न्यांती ने कहा कि मध्य-पूर्वी राष्ट्र में स्थिति हताशाभरी है. उन्होंने कहा, 'किसी दिन बच्चों को खाने के लिए भोजन नहीं मिलता, किसी दिन वे स्कूल नहीं जा सकते हैं. यहां तक कि अगर वे स्कूल जाते हैं, तो वे पत्थर पर बैठते हैं, सादा में बच्चे तो गुफा में बैठते हैं.
न्यांती कहते हैं कि यमन में आज यही हालात हैं. 30 साल पहले यमन के बच्चों को शिक्षा मिली और उन्होंने सीखा, वे विकसित हुए और संपन्न भी. उन्होंने पूछा, क्या आज के बच्चों के पास समान अवसर हैं? वे केवल तभी होंगे जब हम अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करेंगे और बच्चों के अधिकारों को पूरा करने के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराएंगे.'
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यमन में संघर्ष
दरअसल अरब के सबसे गरीब देशों में से एक यमन में संघर्ष 2014 में शुरू हुआ, जब हैती विद्रोहियों ने देश के अधिकांश हिस्से के साथ राजधानी सना पर कब्जा कर लिया. इसके बाद सऊदी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने हैती विद्रोहियों को बाहर करने और सरकार को बहाल करने के लिए 2015 में हस्तक्षेप किया.
बता दें कि यमन के युद्ध में 1,00,000 लोग मारे गए, लाखों लोग विस्थापित हुए और यह देश अपने सबसे बुरे दौर में जीने को मजबूर हैं.