इस्लामाबाद : पाकिस्तान के अधिकारियों ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान का नाम 19 करोड़ पाउंड के समझौते के मामले में उन्हें विदेश जाने से रोकने के लिए 'एग्जिट कंट्रोल लिस्ट' (ईसीएल) में डाल दिया है. मीडिया रिपोर्टों में सोमवार को यह बात कही गई.
जियो न्यूज के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री, जिन्हें पिछले साल अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पद से हटा दिया गया था, फिलहाल कई मामलों का सामना कर रहे हैं, जिसमें ब्रिटेन की राष्ट्रीय अपराध एजेंसी से करोड़ों पाउंड के हस्तांतरण और 19 लाख पाउंड का समझौता मामला भी शामिल है. इस मामले में उनकी पत्नी बुशरा बीबी भी आरोपी हैं.
खान को इसी महीने की शुरुआत में इस्लामाबाद हाईकोर्ट परिसर से रेंजर्स द्वारा गिरफ्तार किया गया था. उनकी गिरफ्तार के बाद देशव्यापी हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था.
जियो न्यूज ने सूत्रों के हवाले से कहा कि खान का नाम राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी), रावलपिंडी की सिफारिश के अनुसार परिपत्र सारांश के लिए संघीय कैबिनेट की मंजूरी के बाद नो-फ्लाई लिस्ट में डाल दिया गया है.
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रथम महिला का नाम ईसीएल पर रखने का फैसला भी लिया गया है और भ्रष्टाचार-रोधी एजेंसी इस संबंध में गृह मंत्रालय को पत्र लिखेगी.
गौरतलब है कि संघीय जांच प्राधिकरण (एफआईए) के आदेश के अनुसार 600 से अधिक पीटीआई नेताओं और पूर्व विधानसभा सदस्यों के साथ इमरान खान और बुशरा बीबी के नाम नो-फ्लाई सूची में जोड़े गए हैं. हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री ने देश छोड़ने पर रोक लगाए जाने के बाद सरकार को ऐसा करने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि उनकी विदेश यात्रा की कोई योजना नहीं है.
इमरान खान ने सरकार पर साधा निशाना :उधर,पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को पीएमएल-एन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार पर शक्तिशाली प्रतिष्ठान की निगरानी में कानून के शासन को खत्म करने और अर्थव्यवस्था को तबाह करने का आरोप लगाया.
खान ने कहा कि देश के समक्ष मौजूद वास्तविक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाए उनकी पार्टी के मामलों को उठाया जा रहा है. खान ने ट्वीट किया, 'कानून के शासन को नजरअंदाज कर यह फासीवादी सरकार जनरल मुशर्रफ के मार्शल लॉ को भी पीछे छोड़ते हुए केवल तहरीक-ए-इंसाफ को कुचलने के एक सूत्री एजेंडा पर चलने के लिए प्रतिबद्ध है.'
उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट से प्रभावित पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था रसातल में जा रही है. खान ने कहा कि खुले बाजार में डॉलर की कीमत 315 रुपये है, जबकि जिनके पास पहचान पत्र नहीं है, उनके लिए यह 320 रुपये से 325 रुपये तक मिल रहा है तथा सरकारी और खुले बाजार दर में प्रति डॉलर 30 रुपये का अंतर है.
उन्होंने कहा, 'अर्थव्यवस्था के इस डॉलरकरण का मतलब देश में कोई स्थानीय या विदेशी निवेश नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप जीडीपी घटेगा और इससे भी बदतर, भीषण महंगाई होगी.'
अपने प्रतिद्वंद्वियों पर हमला करते हुए खान ने कहा कि गठबंधन सरकार के नेताओं के पास अरबों डॉलर हैं. उन्होंने कहा, 'सवाल यह है कि पाकिस्तानी प्रतिष्ठान देश को पूरी तरह से आर्थिक मंदी की ओर बढ़ने की अनुमति कैसे दे रहा है?'
यह बयान ऐसे समय में आया है, जब सरकार और खान के बीच पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की महिला समर्थकों के साथ कथित दुर्व्यवहार को लेकर जुबानी जंग बढ़ गई है. देश में नौ मई को हिंसक विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर गिरफ्तार किए जाने के बाद से खान की पार्टी के कई कार्यकर्ता, नेता जेल में बंद हैं.
खान पर अपनी पार्टी को एकजुट रखने का दबाव है, क्योंकि सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमलों में शामिल लोगों को गिरफ्तार करने के लिए शुरू की गई कार्रवाई के बाद कई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं. पूर्व प्रधानमंत्री का बयान उनके समर्थकों को यह बताने का प्रयास है कि खान अभी भी प्रासंगिक हैं और देश को संकट से बाहर निकाल सकते हैं.
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(एजेंसियां)