बर्लिन : दुनिया भर में नस्लवाद और पुलिस बर्बरता के खिलाफ बार्सिलोना, मैड्रिड और रोम में रविवार को 'काले लोगों का जीवन मायने रखता है' आंदोलन के तहत हजारों लोगों ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया.
रोम के पीपुल्स स्क्वायर पर रैली शांतिपूर्ण थी और वहां अधिकतर प्रदर्शनकारियों ने कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए मास्क लगा रखा था. वहां मौजूद लोगों ने भाषण सुने और उन्होंने हाथ से बनी तख्तियां ले रखी थीं, जिन पर लिखा था 'ब्लैक लाइव्स मैटर' (काले लोगों का जीवन मायने रखता है) और 'इट्स अ व्हाइट प्रॉब्लम' (यह गोरे लोगों की समस्या है).
ये रैलियां ऑस्ट्रेलिया से लेकर यूरोप और अमेरिका के शहरों में नस्लवाद विरोधी प्रदर्शनों के एक दिन बाद हुई. ये प्रदर्शन अमेरिका में 25 मई को पुलिस कार्रवाई में अफ्रीकी मूल के व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद से हो रहे हैं.
मिनियापोलिस के एक गोरे पुलिस अधिकारी द्वारा अफ्रीकी-अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की गर्दन को अपने घुटने से कुछ मिनट तक दबाये रखने के कारण मौत हो गई थी. इस घटना के दौरान हथकड़ी पहने फ्लॉयड को यह कहते सुना जा रहा था कि उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही है.
बर्लिन में पुलिस ने कहा कि शनिवार को यहां जर्मन राजधानी में प्रदर्शन के सिलसिले में 93 लोगों को हिरासत में लिया गया. इनमें से अधिकतर लोगों को 15 हजार लोगों की मुख्य रैली के समापन पर हिरासत में लिया गया.
पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को शहर के एलेक्जेंडर चौराहे से हटने के लिये कहा गया था. इसके बावजूद भीड़ में मौजूद लोगों ने वहां मौजूद अधिकारियों पर बोतलें और पत्थर फेंके, जिसमें कुछ पुलिसकर्मियों के साथ ही एक प्रेस फोटोग्राफर भी घायल हो गया.
ब्रिटेन में रविवार को कई जगह और प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें लंदन स्थित अमेरिकी दूतावास के बाहर किया गया प्रदर्शन भी शामिल है.