लीसेस्टर (ब्रिटेन) :सीसे वाले ईंधन के मानव स्वास्थ्य के लिए अस्वीकार्य खतरा होने पर आम सहमति मुश्किल से बनी और इसके लिए वैज्ञानिकों, नियामक प्राधिकारियों तथा उद्योग के बीच लंबी लड़ाई चली. हाल में आई अच्छी खबरों में ऐसा लगता है कि दुनिया ने ईंधन में इस जहरीले रसायन के इस्तेमाल पर अपना रुख बदला है.
ईंधन में सीसे का इस्तेमाल 1920 से किया जा रहा है जब इंजन कंप्रेशन को बढ़ाने के लिए पेट्रोल में टेट्राइथाइल सीसा मिलाया गया. 1970 से लेकर इस सदी के अंत तक ऐसा अनुमान है कि ब्रिटेन में वाहनों के पीछे बेकार गैस छोड़ने के लिए लगे पाइपों से वातावरण में करीब 140,000 टन सीसा छोड़ा गया.
1999 के बाद से ईंधन में सीसे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया. सीसे का इस्तेमाल बंद करना कम आय वर्ग वाले देशों खासतौर से अल्जीरिया में ज्यादा मुश्किल साबित हुआ.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार जुलाई 2021 तक दुनिया को आधिकारिक रूप से सीसे वाले ईंधन से मुक्त घोषित कर दिया गया. ब्रिटेन में इस सदी में सीसे वाले पेट्रोल से भरे पेट्रोल पम्प नहीं देखे गए लेकिन सीसे से होने वाला प्रदूषण अब भी एक समस्या बना हुआ है.
हाल के एक अध्ययन में देखा गया कि वाहनों के पीछे लगे पाइपों से सीसे वाले पेट्रोल का धुआं निकलने पर प्रतिबंध के करीब दो दशकों बाद 2014 और 2018 के बीच लंदन में एकत्रित धूल के नमूनों में सीसे की मात्रा पाई गई. अध्ययन में पाया गया सीसा सड़क किनारे या छत पर पड़े धूल के कणों में मिला. सड़क की धूल और ऊपरी मिट्टी से मिलान किए गए रासायनिक फिंगरप्रिंट से यह सुझाव मिलता है कि प्रदूषित मिट्टी 20 साल पुराने सीसे के प्रदूषण के लिए जलाशय के तौर पर काम कर रही है.