ब्रिस्टल (ब्रिटेन) :वैश्विक महामारी के कारण बच्चों को स्कूल गए साल भर से अधिक समय हो गया है मतलब बच्चों ने इस दाैरान शिक्षकों, दाेस्ताें और परिवार के साथ सामान्य से कम बातचीत की है.
इस स्थिति में सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता है कि सीखने की इस उम्र में घरों में बंद रहने के कारण बातचीत सीखने के बच्चाें के तरीके में कैसे परिवर्तन आया होगा?
क्या लॉकडाउन और कोविड-19 संबंधित अन्य उपायों ने बच्चों के बोलने एवं भाषाई कौशल को ग्रहण करने के तरीके को प्रभावित किया है?
बोलने का तरीका और भाषाई कौशल शैक्षणिक एवं सामाजिक विकास के लिए काफी महत्त्वपूर्ण होता है. लेकिन लॉकडाउन में यह प्रक्रिया कितनी बाधित हाे रही है. इस विषय को लेकर एक सर्वेक्षण किया गया है.
ज्यादा प्रोत्साहन की जरूरत
एजुकेशन एंडाउमेंट फाउंडेशन द्वारा कराए गए स्कूलों एवं परिजन के हालिया सर्वेक्षण में पाया गया कि जिन बच्चों ने 2020 में स्कूल शुरू किया उन्हें उससे पहले के वर्षों में स्कूली शिक्षा शुरू करने वालों के मुकाबले ज्यादा प्रोत्साहन की जरूरत है.
महामारी के दौरान बच्चों की सुरक्षा
लॉकडाउन के प्रभावों की बात करें तो माता-पिता ने पूरी महामारी के दौरान बच्चों को सुरक्षित एवं सेहतमंद रखकर अपनी जिम्मेदारी काे बखूबी निभाया है. बच्चों के लिए सीमित गतिविधियों के साथ रहना भी काफी चुनौती भरा रहा है.