लंदन : मास्क पहनने के अपने परामर्श में अचानक एक और बदलाव करने को लेकर शनिवार को ब्रिटेन की सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा.
दरअसल, इस सिलसिले में जारी किये गए नये दिशानिर्देशों को पूरा करने के लिये इंग्लैंड के अस्पतालों में हड़कंप मच गया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा मास्क के उपयोग के लिए अपनी सिफारिशों के दायरे को विस्तारित करने के मद्देनजर शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री मैट हानकॉक ने कहा कि इंग्लैंड में सभी अस्पताल कर्मियों को 15 जून से सर्जिकल मास्क पहनना होगा, जबकि आगंतुकों और बाह्य रोगियों को कुछ हद तक मास्क पहनना होगा.
इस घोषणा के एक दिन पहले ही सरकार ने कहा था कि इंग्लैंड में सार्वजनिक वाहनों में किसी भी कपड़े के बने मास्क उस तारीख से अनिवार्य होंगे, जो गैर जरूरी वस्तुओं की दुकानें फिर से खोले जाने के लिये तय की गई है.
उल्लेखनीय है कि जब कोरोना वायरस संक्रमण के मामले चरम पर थे तब सरकार ने उनके उपयोग की सिफारिश नहीं थी, लेकिन अब कह रही है कि चेहरा ढकने से अन्य लोगों को कुछ सुरक्षा मिलेगी और लोगों को अनजाने में संक्रमण की चपेट में नहीं आने से मदद मिलेगी.
डब्ल्यूएचओ ने शुक्रवार को कहा था कि जिन इलाकों में संक्रमण फैल रहा है, वहां सामाजिक दूरी संभव नहीं रहने को लेकर सार्वजनिक वाहनों और दुकानों में अब लोगों को कपड़े के बने मास्क पहनना चाहिए.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) के शीर्ष अधिकारी क्रिस हॉपसन ने कहा कि ऐसा लगता है कि ब्रिटिश सरकार आनन-फानन में अंतिम क्षणों में फैसले ले रही है, जो राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित लगता है.
उनके विचारों से सहमति जताते हुए ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन ने चेतावनी दी कि इस बारे में बहुत कम ब्योरा है कि नीति को किस तरह से क्रियान्वित किया जाएगा, मास्क कहां से आएंगे या बाह्य (ओपीडी) रोगी और आगंतुक को कैसे दिया जाएगा.
एसोसिएशन की सलाहकार समिति के अध्यक्ष डॉ रोब हारवुड ने इस बात का जिक्र किया कि महामारी के दौरान व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) की निरंतर कमी रही है.
ब्रिटेन में इस महामारी से 40,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है.
उन्होंने कहा, 'यह बहुत जरूरी है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि स्वास्थ्य कर्मियों को पर्याप्त संख्या में मास्क की आपूर्ति हो और बाह्य रोगियों और लोगों के मास्क पहनने के लिए 15 जून तक पर्याप्त प्रावधान किए जाएं.'