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वियतनाम ने भारत को दक्षिण चीन सागर की स्थिति से अवगत कराया

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Published : Aug 23, 2020, 11:02 AM IST

अनेक देशों के संयम बरतने के आह्वान की परवाह किए बिना चीन संसाधन प्रचुर दक्षिण चीन सागर में बड़ी संख्या में पोतों और लड़ाकू विमानों की तैनाती कर रहा है. चीन की इन गतविधियों के चलते क्षेत्र में बढ़ते तनाव को लेकर वियतनाम ने भारत को जानकारी दी है. पढ़ें पूरी खबर...

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वियतनाम ने भारत को दक्षिण चीन सागर की स्थिति से अवगत कराया (कॉन्सेप्ट इमेज)

नई दिल्ली : वियतनाम ने चीन की गतिविधियों के चलते दक्षिण चीन सागर में बढ़ते तनाव के बारे में भारत को अवगत कराया है.

अनेक देशों के संयम बरतने के आह्वान की परवाह किए बिना चीन संसाधन प्रचुर दक्षिण चीन सागर में बड़ी संख्या में पोतों और लड़ाकू विमानों की तैनाती कर अपनी सैन्य मौजूदगी मजबूत कर रहा है.

वियतनाम ने चीन की इन गतविधियों के चलते क्षेत्र में बढ़ते तनाव को लेकर भारत को जानकारी दी है.

घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि यह मुद्दा विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला से वियतनाम के राजदूत फाम सान्ह चाउ की मुलाकात के दौरान उठा.

उन्होंने बताया कि वियतनाम के राजदूत ने भारत के तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) की तेल खोज परियोजनाओं की मौजूदगी वाले वियतनामी जलक्षेत्र के इर्द-गिर्द सहित दक्षिण चीन सागर में वर्तमान स्थिति के बारे में श्रृंगला को अवगत कराया.

गौर हो कि दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक सैन्य गतिविधि ऐसे समय हो रही है, जब उसकी और भारत की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में तीन महीने से अधिक समय से तनातनी चली आ रही है.

विदेश मंत्रालय अथवा वियतनाम दूतावास की ओर से हालांकि, बैठक का कोई विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया है.

बैठक के बाद, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने ट्वीट किया, 'विदेश सचिव हर्षवर्धन ने वियतनाम के सान्ह चाउ फाम से मुलाकात की जिसके साथ भारत के मजबूत संबंध और समग्र रणनीतिक भागीदारी है.'

चीन बड़ी मात्रा में हाइड्रोकार्बन की मौजूदगी वाले समूचे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है. हलांकि, वियतनाम, फिलीपीन और ब्रुनेई सहित कई आसियान देश भी क्षेत्र पर अपना जवाबी दावा करते हैं.

वर्ष 2014 में पार्सल द्वीप समूह पर चीन की तेल संबंधी कवायद के चलते वियतनाम में चीन विरोधी दंगे भड़क उठे थे, जिनमें अनेक चीनी कारखानों को नुकसान पहुंचा था.

भारत दक्षिण चीन सागर में समुद्री कानून संबंधी 1982 की संयुक्त राष्ट्र संधि सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के अनुरूप नौवहन की स्वतंत्रता और संसाधनों तक पहुंच का समर्थन करता रहा है. दक्षिण चीन सागर भारत के लिए भी बेहद महत्वूपर्ण है क्योंकि देश का 55 प्रतिशत व्यापार इसी क्षेत्र से होकर गुजरता है.

चीन दक्षिण चीन सागर में वियतनामी जलक्षेत्र में भारत की तेल खोज परियोजनाओं पर आपत्ति व्यक्त करता रहा है. भारत यह कहकर उसकी आपत्ति को खारिज करता रहा है कि वियतनाम के साथ उसका ऊर्जा सहयोग अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप है.

वहीं, चीन ने पिछले दो महीनों में दक्षिण चीन सागर में अपनी सैन्य आक्रामकता बढ़ा दी है, जब पूरा विश्व कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है. अमेरिका ने चीन की हरकतों के जवाब में विवादित द्वीपसमूह के पास अपने सैन्य पोत भेज दिए हैं और कहा है कि क्षेत्र पर बीजिंग का दावा अवैध है.

भारत और वियतनाम के बीच पिछले कुछ वर्षों में रक्षा एवं सैन्य संबंधों में काफी वृद्धि हुई है. दोनों देशों ने एक दशक तक रणनीतिक भागीदार रहने के बाद 2016 में अपने संबंधों के दर्जे को बढ़ाकर 'समग्र रणनीतिक भागीदारी' के स्तर का कर दिया था.

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