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Published : Apr 24, 2019, 8:29 AM IST

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श्रीलंका बम धमाके: 'PM और राष्ट्रपति के बीच की राजनीतिक लड़ाई श्रीलंका को पड़ी महंगी'

श्रीलंका में राजनितिक रंजीशों के चलते देश में इतना बड़ा हमला हो गया. भारत और अमेरिका के खुफिया एजेंसियों ने श्रीलंका को पहले ही इन हमलों के बारे में आगह किया था फिर भी राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर देश में राजनीति होती रही.

राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे

कोलंबो: श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के बीच राजनीतिक लड़ाई के चलते सुरक्षा की एक भारी चूक हुई. इस वजह से एक कट्टरपंथी इस्लामी संगठन ने देश के सबसे वीभत्स आतंकी हमले को अंजाम दिया. श्रीलंकाई मीडिया और मंत्रियों ने इस बात की जानकारी दी.

श्रीलंकाई मीडिया और कुछ मंत्रियों ने सिरीसेना और विक्रमसिंघे के बीच दरार की आलोचना की है. उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के बीच की राजनीतिक लड़ाई श्रीलंका को महंगी पड़ी है. उनकी लड़ाई की कीमत देश को चुकानी पड़ी है.

दरअसल, यह बात उभर कर आई है कि अधिकारियों को जिहादी संगठन नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) द्वारा संभावित हमले के बारे में भारत और अमेरिका से खुफिया सूचना मिली थी.

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गौरतलब है कि संदिग्ध एनटीजे हमलावरों ने ईस्टर के दिन तीन कैथोलिक चर्च और लग्जरी होटलों में सिलसिलेवार बम धमाके किए थे, जिनमें कम से कम 321 लोग मारे गए और करीब 500 अन्य घायल हो गए.

इन हमलों में श्रीलंका के दहलने के बाद देश के कैबिनेट प्रवक्ता रजीता सेनारत्ने ने कहा कि प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे और कैबिनेट को खुफिया सूचना एवं आतंकी खतरे की जानकारी नहीं दी गई थी.

गौरतलब है कि पिछले साल के अभूतपूर्व संवैधानिक संकट के बाद से श्रीलंका में राजनीतिक लड़ाई जारी है. उस वक्त राष्ट्रपति सिरीसेना ने प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया था. विक्रमसिंघे को सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद दिसंबर में बहाल किया गया था.

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दि आईलैंड अखबार ने मंगलवार को अपने संपादकीय में कहा कि राष्ट्रपति और विक्रमसिंघे यूनाइटेड नेशनल पार्टी राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे पर एक दूसरे के पाले में गेंद डालने को लेकर कुख्यात हैं.

इसमें यह भी कहा गया है कि राष्ट्रपति सिरीसेना आतंकी हमले के वक्त एक निजी विदेश यात्रा पर थे. वह रक्षा मंत्री भी हैं. इस संबंध में सरकार के प्रवक्ता सेनारत्ने ने कहा कि प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे को दिसंबर में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से हटा दिया गया था.

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