दिल्ली

delhi

'ट्रांस -पेसिफिक पार्टनरशिप में शामिल होने के लिए अमेरिका करेगा ताइवान का समर्थन'

By

Published : Nov 25, 2020, 1:20 PM IST

यदि अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बिडेन ट्रांस-पेसिफिक पार्टनरशिप में दोबारा शामिल हो जाते हैं, तो अमेरिका समझौते में शामिल होने के लिए ताइवान का समर्थन करना जारी रखेगा. अमेरिका-ताइवान व्यापार संबंधों पर विशेषज्ञ ने वरिष्ठ पत्रकार चंद्रकला चौधरी से साक्षात्कार में यह बात कही.

expert on america taiwan trade ties
डिजाइन फोटो

नई दिल्ली : 15 देशों के बीच हस्ताक्षरित दुनिया के सबसे बड़े मुक्त व्यापार समझौते-आरसीईपी से बाहर होने के बाद, दोनों अमेरिका और द्वीप राष्ट्र, ताइवान एक-दूसरे से लाभ प्राप्त करने के बारे में विचार कर रहे हैं और ताइवान अमेरिका के साथ संभावित मुक्त व्यापार समझौते की गुंजाईश तलाश कर रहा है.

द्वीप देश, ताइवान के विश्लेषकों का मानना है कि यह राष्ट्र अमेरिका के साथ एक द्विपक्षीय समझौता करने की मांग कर रहा है, जिसका पहले से ही अमेरिकी कांग्रेस के कुछ सदस्यों, अधिकारियों और अमेरिका पर मजबूत राय रखने वाले नेताओं का समर्थन प्राप्त है.

ईटीवी भारत के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, ताइवान आसियान अध्ययन केंद्र, चुंग हुआ इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक रिसर्च-ताइवान के प्रमुख आर्थिक प्रबुद्ध मंडल के निदेशक क्रिस्टी ह्सु ने कहा कि 'ताइवान अमेरिका के साथ एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता करना चाहता है, जिसको अमेरिकी कांग्रेस के कुछ सदस्यों और अमेरिका में अधिकारियों और राय के नेताओं द्वारा पहले से ही समर्थन प्राप्त है. इस बीच, ताइवान सरकार ने ट्रंप सरकार के साथ कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाना था. इस तरह के सहयोग समझौतों में ग्लोबल वैल्यू चेन, क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर आदि में सहयोग शामिल है.'

राष्ट्रपति-चुनाव के विजेता, जो बिडेन से ताइवान की उम्मीदों के बारे में पूछे जाने पर, क्रिस्टी ह्सु ने कहा, 'यह उम्मीद की जा रही है कि बिडेन प्रशासन ताइवान के साथ मिलकर काम करना जारी रखेगा, विशेष रूप से उच्च प्रौद्योगिकी सहयोग, जीवीसी के लचीलेपन आदि जैसे क्षेत्रों में. ताइवान सरकार अमेरिका के साथ व्यापार समझौते, निवेश समझौते और अन्य क्षेत्रीय सहयोग सहित द्विपक्षीय समझौतों पर आगे काम करना जारी रखेगी.'

इसके अलावा, ताइवान सरकार ने ओबामा प्रशासन के दौरान टीपीपी में शामिल होने के अपने फैसले की घोषणा की थी. पिछले वर्षों में ताइवान ने ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी) में शामिल होने के अपने प्रयासों को जारी रखा है; टीपीपी / सीपीटीपीपी कानूनों और मानकों के अनुपालन के लिए संबंधित कानूनों और विनियमों की समीक्षा और संशोधन करना शामिल है.

उन्होंने जोर देते हुए खा कि, यह बहुत अनुमानित है कि अगर बाइडेन ने व्यापक और प्रगतिशील ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (सीपीटीपीपी) पर लौटने का फैसला किया, तो अमेरिका ताइवान का भी समर्थन सीपीटीपीपी में शामिल होने के लिए करेगा.

वह कहती हैं कि ताइवान-संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के बीच व्यापार संरचना अत्यधिक पूरक है, जिसका अर्थ है कि ताइवान मुख्य रूप से अमरीकी ऑटोमोबाइल, अर्धचालक वाले उपकरण और अन्य उच्च मूल्य की वर्धित सटीक मशीनों से आयात करते हुए अमेरिका में अर्धचालक, बिजली के उपकरणों के उत्पाद, ऑटोमोबाइल पार्ट्स और अन्य उपभोक्ता उत्पादों का निर्यात करता है. ताइवान भी अमेरिकी कृषि उत्पादों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है, जिसमें अमेरिकी गोमांस भी शामिल है.

हाल ही में, ताइवान सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मानकों को अपनाने की घोषणा की है, इसलिए अमेरिकी पोर्क यानि सुअर का मांस के आयात पर लंबे समय से चले आ रहे प्रतिबंध लगाने के मुद्दों को हल किया जाएगा.

नई दिल्ली के ताइवान एलुमनाई एसोसिएशन की अध्यक्ष नम्रता हसीजा ने कहा कि 'ताइवान को न केवल आरसीईपी बल्कि कोविड को प्रभावशाली तरीके से संभालने के बावजूद डब्ल्यूएचओ से भी बाहर रखा गया है. दुनिया का एकमात्र देश जिसने एक दिन के लिए भी तालाबंदी नहीं की और सिर्फ 500 कोरोना के मामले पाए गये. इसके पीछे, निश्चित रूप से, चीन है जिसने ताइवान को अलग थलग करने के लिए अपनी सारी ताकत लगा दी है.'

यहां इस बात का उल्लेख करना उचित है कि ताइवान वाशिंगटन में बहुत सक्रिय है और ऐसे कई संवादों में भाग ले रहा है जो संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ लंबे समय से चर्चा का मुद्दा रहे, मुक्त व्यापार समझौते के लिए आधार तैयार कर सकते हैं.

हसीजा ने रेखांकित किया कि ताइवान जो व्यापार समझौते कर सकता है, वह केवल द्विपक्षीय हो सकता है क्योंकि चीन हर बहुपक्षीय समझौते को रोकने की कोशिश करेगा. अमेरिका में दो देशों के बीच वार्ता चल रही है जिससे दोनों के बीच व्यापार समझौता हो सकता है. संयुक्त राज्य अमेरिका पहले से ही 'क्लीन 5 जी' नेटवर्क के लिए ताइवान के साथ साझेदारी कर रहा है.

वर्ष 1979 में हस्ताक्षर किए गए ताइवान संबंध अधिनियम का हवाला देते हुए, हसीजा ने आगे कहा कि यह अधिनियम संयुक्त राज्य अमेरिका के लोगों और ताइवान के लोगों के साथ-साथ चीन की मुख्य भूमि और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहने वाले अन्य सभी लोगों के बीच व्यापक, करीबी और मैत्रीपूर्ण वाणिज्यिक, सांस्कृतिक संबंधों को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की नीति है.

उनका कहना है कि 'ऊपर उल्लेख किया गया अधिनियम यह घोषणा करता है कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता संयुक्त राज्य अमेरिका के राजनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक हितों में हैं, और अंतर्राष्ट्रीय चिंता का विषय हैं. इसमें कहा गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका का पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने का निर्णय सिर्फ़ इस उम्मीद पर टिका हुआ है कि ताइवान का भविष्य शांतिपूर्ण तरीकों से निर्धारित होगा और अमेरिका के लिए यह सबसे गंभीर चिंता का विषय है कि शांतिपूर्ण तरीकों के अलावा ताइवान के भविष्य को निर्धारित करने का कोई भी और प्रयास, जिसमें बहिष्कार और प्रतिबन्ध शामिल है पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है.'

पिछले हफ्ते, ताइवान और संयुक्त राज्य अमेरिका ने विदेशी बुनियादी ढांचे के निवेश पर केंद्रित वार्ता की, आर्थिक मामलों के उप मंत्री चेन चेरन ची के नेतृत्व में ताइवान के प्रतिनिधिमंडल को शामिल करने वाले आर्थिक मुद्दों पर बैठकों की एक श्रृंखला की शुरुआत की.

ताइवान के विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा था कि वह ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (सीपीटीपीपी) के लिए व्यापक और प्रगतिशील समझौते में शामिल होने के लिए अपनी कोशिश जारी रखेगा, जो कि संयुक्त राज्य के ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी) समझौते को छोड़ बाहर निकलने के बाद हुए अस्तित्व में आया है.

ताइवान और अमेरिका ने दशकों तक न केवल द्विपक्षीय व्यापार और निवेश गतिविधियों के लिए बल्कि प्रौद्योगिकी सहयोग और आपूर्ति श्रृंखलाओ के क्षेत्र में भी घनिष्ठ संबंध बनाए हैं. ताइवान अमेरिका के तकनीकी उत्पादों, उपभोक्ता उत्पादों जैसे अर्धचालक, स्मार्टफोन और उपभोक्ता उत्पाद जैसे वस्त्र, जूते आदि के लिए एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है.

यह उल्लेख करना यहाँ महत्वपूर्ण है कि पिछले 2 वर्षों में, अमेरिका-चीन के रिश्ते के बीच आई खटास के चलते व्यापार को स्थानांतरित किया गया है, जिसके प्रभाव के कारण, चीन में स्थित ताइवान के निर्माताओं ने अपनी विनिर्माण गतिविधियों को ताइवान में स्थानांतरित कर दिया है, या उत्पादन कार्यों को ताइवान में वापस स्थानांतरित कर दिया है. इस तरह के एक प्रभाव, जिसे 'ताइवान कंपनियां की घर वापसी' करने प्रवृत्ति कहा जाता है, ने ताइवान और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों को बढ़ाने में मदद की है.

'2019 में और वर्तमान में, चीन के बाद अमेरिका ताइवान का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात बाजार बन गया है. ताइवान की कंपनियों ने भी अमेरिका में निवेश करने के लिए अधिक उत्साह जाहिर किया है, इसमें दुनिया की अग्रणी अर्धचालक निर्माता टीएसएमसी ने एरिज़ोना, अमेरिका में संचालन स्थापित करने की घोषणा की है. 2018 में, अमेरिका में ताइवान का एफडीआई दो बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक थी, इससे एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड कायम किया है', क्रिस्टी ह्सु ने आगे प्रकाश डालते हुए बताया.

ABOUT THE AUTHOR

...view details