काठमांडू :मुश्किलों में घिरे नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने एक प्रमुख कैबिनेट फेरबदल के बाद मधेसी जनता समाजवादी पार्टी के साथ हाथ मिलाया है. इस कदम को कई विश्लेषकों द्वारा ‘एक तीर से दो निशाने’ लगाने के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि इस कदम से उनका लक्ष्य सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करना और पड़ोसी देश भारत के साथ संबंधों को मजबूत बनाना शामिल हैं.
प्रतिनिधि सभा को भंग करने के अपने कदम के खिलाफ ओली अपनी ही पार्टी के भीतर विरोध का सामना कर रहे हैं. ओली ने शुक्रवार को मंत्रिमंडल में फेरबदल किया और उप प्रधानमंत्री ईश्वर पोखरेल और विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली सहित कुछ प्रमुख मंत्रियों को हटा दिया. ओली ने मधेसी दल जनता समाजवादी पार्टी से आठ मंत्रियों और दो राज्य मंत्रियों को शामिल किया है.
राजेंद्र महतो को उप प्रधानमंत्री और शहरी विकास मंत्री बनाया गया है, जबकि सत्तारूढ़ सीपीएन-यूएमएल से रघुबीर महासेठ को एक अन्य उप प्रधानमंत्री बनाया गया और साथ ही उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया है. तीसरे उप प्रधानमंत्री यूएमएल से बिष्णु पौडयाल हैं, जिन्हें वित्त मंत्रालय का प्रभार भी दिया गया है.
नेपाल में मधेसी दल मधेसियों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हैं. मधेसी लोग मुख्यत: तराई क्षेत्र के निवासी हैं. इस समुदाय के भारत के साथ मजबूत सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंध हैं. हालांकि, विपक्ष और विशेषज्ञों ने उनके इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह संवैधानिक मानदंडों के खिलाफ है क्योंकि संसद पहले ही भंग कर दी गई थी और चुनाव की तारीख 12 और 19 नवंबर तय की गई है.