ढाका : भारत से लगे बांग्लादेश के इलाके में एक सरकारी अस्पताल में शाहीनुल इस्लाम अपने पिता की सलामती की दुआ मांग रहे हैं. इस महीने इस अस्पताल में 300 से ज्यादा कोविड-19 मरीजों की मौत हो चुकी है. इस्लाम के पिता की तरह ही सैंकड़ों लोग इस अस्पताल में जिंदगी के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं.
अस्पताल का आपात कक्ष लोगों से भरा पड़ा है. लोगों में अफरा-तफरी है और वे अपने प्रियजनों की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था में लगे हैं.
राजशाही मेडिकल कॉलेज 1,200 बिस्तरों वाला अस्पताल है और यहां सीमा क्षेत्र के मरीज इलाज के लिए आते हैं. कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप की वजह से संक्रमण का प्रसार यहां तेजी से हो रहा है.
राजशाही जिले के मुख्य शहर में स्थित इस अस्पताल में मंगलवार को ही 450 से ज्यादा कोविड-19 के मरीज भर्ती हुए हैं. इस्लाम कहते हैं कि उनका घर सीमा क्षेत्र के नजदीक है. वह बताते हैं कि गांव के लोग उनसे डरते हैं, उनसे बातचीत नहीं करते हैं और जब वे उन्हें सड़क पर देखते हैं तो रास्ता बदल लेते हैं.
बांग्लादेश में संक्रमण के मामलों में वृद्धि हो रही है और अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ रही है. देश में बृहस्पतिवार को कड़ा लॉकडाउन लागू किया जाएगा. इस लॉकडाउन का कड़ाई से पालन कराने के लिए सरकार सैनिक, अर्द्धसैनिक सीमा बल के अधिकारियों और दंगा नियंत्रण पुलिस की तैनाती कर रही है. यह लॉकडाउन शुरुआत में सिर्फ एक सप्ताह तक के लिए है.
अधिकारियों ने आगाह किया है कि सीमा क्षेत्रों में संक्रमण के मामलों में वृद्धि की वजह से बांग्लादेश के अंदरूनी इलाकों में भी संक्रमण का प्रसार हो रहा है और डेल्टा स्वरूप की वजह से मामलों में वृद्धि से 16 करोड़ की आबादी वाले इस देश में कई तरह के संकट पैदा हो सकते हैं.
ढाका में सरकार के महामारी विज्ञान, रोग नियंत्रण एवं अनुसंधान संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी ए एस एम आलमगीर ने कहा, अगर लोग सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करते हैं और अगर घर पर नहीं रहते हैं तो बांग्लादेश में महामारी की यह लहर बेहद भयावह हो सकती है. यह तेजी से फैलता है और ज्यादा लोगों की जान जाती है.