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बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाकों में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के बाद नया लॉकडाउन - lockdown extended

बांग्लादेश में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कल से (1 जुलाई) लॉकडाउन लगाने की घोषणा की गई है. फिलहाल यह लॉकडाउन एक सप्ताह के लिए लगाया जाएगा.

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Published : Jun 30, 2021, 4:22 PM IST

ढाका : भारत से लगे बांग्लादेश के इलाके में एक सरकारी अस्पताल में शाहीनुल इस्लाम अपने पिता की सलामती की दुआ मांग रहे हैं. इस महीने इस अस्पताल में 300 से ज्यादा कोविड-19 मरीजों की मौत हो चुकी है. इस्लाम के पिता की तरह ही सैंकड़ों लोग इस अस्पताल में जिंदगी के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं.

अस्पताल का आपात कक्ष लोगों से भरा पड़ा है. लोगों में अफरा-तफरी है और वे अपने प्रियजनों की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था में लगे हैं.

राजशाही मेडिकल कॉलेज 1,200 बिस्तरों वाला अस्पताल है और यहां सीमा क्षेत्र के मरीज इलाज के लिए आते हैं. कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप की वजह से संक्रमण का प्रसार यहां तेजी से हो रहा है.

राजशाही जिले के मुख्य शहर में स्थित इस अस्पताल में मंगलवार को ही 450 से ज्यादा कोविड-19 के मरीज भर्ती हुए हैं. इस्लाम कहते हैं कि उनका घर सीमा क्षेत्र के नजदीक है. वह बताते हैं कि गांव के लोग उनसे डरते हैं, उनसे बातचीत नहीं करते हैं और जब वे उन्हें सड़क पर देखते हैं तो रास्ता बदल लेते हैं.

बांग्लादेश में संक्रमण के मामलों में वृद्धि हो रही है और अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ रही है. देश में बृहस्पतिवार को कड़ा लॉकडाउन लागू किया जाएगा. इस लॉकडाउन का कड़ाई से पालन कराने के लिए सरकार सैनिक, अर्द्धसैनिक सीमा बल के अधिकारियों और दंगा नियंत्रण पुलिस की तैनाती कर रही है. यह लॉकडाउन शुरुआत में सिर्फ एक सप्ताह तक के लिए है.

अधिकारियों ने आगाह किया है कि सीमा क्षेत्रों में संक्रमण के मामलों में वृद्धि की वजह से बांग्लादेश के अंदरूनी इलाकों में भी संक्रमण का प्रसार हो रहा है और डेल्टा स्वरूप की वजह से मामलों में वृद्धि से 16 करोड़ की आबादी वाले इस देश में कई तरह के संकट पैदा हो सकते हैं.

ढाका में सरकार के महामारी विज्ञान, रोग नियंत्रण एवं अनुसंधान संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी ए एस एम आलमगीर ने कहा, अगर लोग सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करते हैं और अगर घर पर नहीं रहते हैं तो बांग्लादेश में महामारी की यह लहर बेहद भयावह हो सकती है. यह तेजी से फैलता है और ज्यादा लोगों की जान जाती है.

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उत्तर और दक्षिण-पश्चिम बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाके अब तक संक्रमण के प्रकोप से बचे थे इसलिए लोगों में महामारी से बचाव के लिए एंटीबॉडी नहीं हैं. वहीं अब तक बड़ी आबादी का टीकाकरण नहीं होने से संक्रमण के फैलने का ज़्यादा खतरा है.

देश में अब तक सिर्फ 40 लाख लोगों को कोविड-19 की दोनों खुराक दी गई हैं. वहीं अन्य 15 लाख लोगों को सिर्फ़ एक खुराक मिली है. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका टीके के आयात में अड़चन पैदा होने के बाद कई लोगों को अभी दूसरी खुराक मिलने को लेकर अनिश्चितता की स्थिति है.

आलमगीर ने बताया कि शुरुआत में महामारी की वजह से संक्रमण के ज्यादातर मामले राजधानी ढाका जैसे अन्य भीड़-भाड़ वाले शहरों से आ रहे थे लेकिन मई के आखिरी सप्ताह से उत्तर और दक्षिण-पश्चिम के सीमावर्ती क्षेत्र चिंता का विषय बन गए हैं.

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भारत में अप्रैल महीने में महामारी की भयानक दूसरी लहर के मद्देनजर बांग्लादेश ने सीमा बंद कर दी थी. लेकिन फिर भी अवैध तरह से लोगों का आना-जाना जारी रहा और ऐसे संक्रमण के मामलों में वृद्धि भी शुरू हुई.

भारत में अब स्थिति में सुधार है और लेकिन बांग्लादेश में संक्रमण के मामलों में वृद्धि हो रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार बांग्लादेश में अब तक संक्रमण के 9,00,000 मामलों की पुष्टि हुई है. वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तविक आंकड़े और ज़्यादा हो सकते हैं. सोमवार को संक्रमण के 8,364 नए मामले सामने आए जो कि पिछले सप्ताह से क़रीब दोगुना हैं. अब तक 14,000 से ज्यादा लोगों की संक्रमण से मौत हो चुकी है.

(पीटीआई-भाषा)

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