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भारत और श्रीलंका की नौसेना ने पोत में लगी आग बुझाई, तेल सुरक्षित - मूंगे की चट्टान

पोत पर मौजूद 22 कर्मियों में से 21 को सुरक्षित बचा लिया गया. आग पर काबू पाने और बचाव प्रयास से मॉरिशस जैसे संकट को टाला गया. जापान का जहाज एम वी वाकाशिओ 25 जुलाई को हिंद महासागर में मॉरिशस के एक मूंगे की चट्टान में फंस गया था और छह अगस्त को जहाज से तेल का रिसाव शुरू हो गया था. अब टीम पोत की क्षति का आकलन कर रही है.

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Published : Sep 12, 2020, 3:41 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल ने श्रीलंका की नौसेना के साथ मिलकर पोत पर तेल लदे टैंकर की आग बुझा पर्यावरण से जुड़े एक बड़े खतरे को टाल दिया. इस पोत पर इंडियन ऑयल कार्पोरेशन(आईओसी) द्वारा किराए पर लिया गया तेल से भरा सुपर टैंकर लदा था. तेल के रिसाव को रोककर समुद्र के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचने से बचा लिया गया.

पोत पर 2,70,000 टन कच्चा तेल था

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) के प्रमुख श्रीकांत माधव वैद्य ने बताया कि यह कहानी बेहतरीन संयुक्त समन्वय और विविध प्रयासों की है. भारतीय तटरक्षक और भारतीय नौसेना ने श्रीलंका की नौसना के साथ मिलकर न्यू डायमंड पोत पर आग को सफलतापूर्वक बुझा लिया. न्यू डायमंड 20 साल पुराना विशाल कच्चा तेल वाहक पोत (वीएलसीसी) है. इसका संचालन न्यू शिपिंग करती है. यह पोत कुवैत के मिना-अल-अहमदी से 2,70,000 टन कच्चा तेल ओडिशा के पारादीप ले जा रहा था.

इस पोत के इंजन कक्ष में तीन सितंबर को तड़के आग लग गई. उस समय यह जहाज श्रीलंका के पूर्वी तट से 38 नॉटिकल मील दूर था. उन्होंने कहा कि आग पर काबू पा लिया गया और 20 लाख बैरल (2,70,000 टन) कच्चा तेल सुरक्षित है. यह भारत और श्रीलंका की नौसना और तटरक्षकों का वृहद प्रयास है और इस कार्य में कई जहाज और विमानों को लगाया गया. वहीं आग पर काबू पा लेने से पर्यावरण संबंधी विपदा को भी होने से रोक दिया गया क्योंकि अगर पोत में आग लगती या इससे तेल समुद्र में जाता तो पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंच सकता था.

आठ सितंबर की रात तक काबू हुआ

श्रीकांत माधव वैद्य ने बताया कि पोत पर मौजूद 22 कर्मियों में से 21 को सुरक्षित बचा लिया गया. आग पर काबू पाने और बचाव प्रयास से मॉरिशस जैसे संकट को टाला गया. जापान का जहाज एम वी वाकाशिओ 25 जुलाई को हिंद महासागर में मॉरिशस के एक मूंगे की चट्टान में फंस गया था और छह अगस्त को जहाज से तेल का रिसाव शुरू हो गया. वैद्य ने कहा कि अब टीम पोत की क्षति का आकलन कर रही है और अगले कदमों पर निर्णय लेगी कि जहाज को ऐसे स्थान पर ले जाया जाए, जहां से कच्चे तेल को किसी अन्य जहाज के जरिए पारादीप लाया जा सके. यह पोत लाइबेरिया की पोर्टो इम्पोरियोस शिपिंग इंक की है और इसका तकनीकी और वाणिज्यिक संचालन ग्रीस की न्यू शिपिंग लिमिटेड करती है. श्रीलंका की नौसेना ने भारतीय तटरक्षक (आईसीजे) से सहायता मांगी, जिसने तत्काल शौर्य, सारंग और सुजॉय जहाज को काम में लगा दिया. इसके अलावा आग बुझाने के लिए एक डॉर्नर विमान भी भेजा गया. उन्होंने बताया कि आग पर आठ सितंबर की रात तक पूरी तरह से काबू पा लिया गया.

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