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नेपाल : संसद भंग करने के खिलाफ याचिकाओं पर संवैधानिक पीठ करेगी सुनवाई

नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के संसद भंग करने के कदम के खिलाफ दायर रिट याचिकाओं को संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स में यह जानकारी मिली है.

petition against Parliament dissolution
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Published : Dec 23, 2020, 4:12 PM IST

Updated : Dec 23, 2020, 5:49 PM IST

काठमांडू : नेपाल के उच्चतम न्यायालय ने संसद भंग करने के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के फैसले के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को बुधवार को संविधान पीठ के पास भेज दिया. प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र एसजे बी राणा की एकल पीठ ने प्रतिनिधि सभा को भंग करने के खिलाफ दायर 12 अलग-अलग याचिकाओं पर आरंभिक सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया.

संविधान पीठ याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई शुरू करेगी. पीठ की अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश राणा करेंगे तथा चार अन्य न्यायाधीशों का वह चुनाव करेंगे. याचिकाकर्ताओं ने फैसले के खिलाफ अंतरिम आदेश का भी अनुरोध किया लेकिन शीर्ष अदालत ने ऐसा कोई आदेश जारी करने से इनकार कर दिया.

स्थानीय अखबार के मुताबिक नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाले खेमे के नेताओं ने निर्वाचन आयोग का रूख कर कहा है कि पार्टी में उनके पास दो तिहाई बहुमत है इसलिए चुनाव आयोग द्वारा उन्हें आधिकारिक तौर पर मान्यता देना चाहिए.

पार्टी की स्थायी कमेटी के सदस्य लीलामणि पोखरेल के हवाले से अखबार ने कहा, 'हम यहां यह साबित करने आए हैं कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी पर हमारा हक है.'

पोखरेल ने कहा कि उनके खेमे को बहुमत हासिल है और पार्टी की केंद्रीय समिति के 315 सदस्यों के दस्तखत हैं. चुनाव आयोग से आधिकारिक तौर पर मान्यता के लिए खेमे को पार्टी के भीतर बहुमत, सदस्यों के हस्ताक्षर, उनके विवरण जमा करने होंगे.

पार्टी के प्रचंड खेमे की केंद्रीय कमेटी ने मंगलवार को बैठक कर ओली को अध्यक्ष पद से हटा दिया और प्रतिनिधि सभा को असंवैधानिक रूप से भंग करने के लिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का फैसला किया. केंद्रीय कमेटी ने वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल को पार्टी का दूसरा अध्यक्ष चुना. प्रचंड पार्टी के पहले अध्यक्ष हैं.

प्रधानमंत्री ओली ने रविवार को संसद भंग करने का प्रस्ताव भेजा और राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने इसे मंजूर कर लिया. पार्टी में लंबे समय से प्रचंड और ओली के खेमे के बीच गतिरोध चल रहा था.

इससे पहले मंगलवार को प्रचंड नीत खेमे ने ओली को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाने की घोषणा की थी. इसके बाद नेपाल की सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के दोनों खेमों में खींचतान बढ़ गई है.

दरअसल, नेपाल में पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' नीत खेमे ने केंद्रीय समिति की बैठक के बाद प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष पद से हटाने और पार्टी विरोधी गतिविधि के आरोप में उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की घोषणा की.

यह भी पढ़ें-नेपाल : सत्तारूढ़ एनसीपी की आम सभा का आयोजन, ओली ने बनाई नई समिति

इससे पहले, ओली ने संगठन पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के उद्देश्य से मंगलवार को पार्टी की आम सभा के आयोजन के लिए 1199 सदस्यीय नई समिति का गठन किया था.

वहीं, प्रचंड की अगुवाई वाले खेमे ने भी काठमांडू में अलग से केंद्रीय समिति की बैठक की थी. इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल एवं झालानाथ खनल के अलावा पूर्व कृषि मंत्री घनश्याम भुशाल समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे.

प्रचंड नीत खेमे ने केंद्रीय समिति की बैठक में वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल को सर्वसम्मति से पार्टी का दूसरा अध्यक्ष नियुक्त किया. प्रचंड पार्टी के पहले अध्यक्ष हैं. बैठक में पार्टी की केंद्रीय समिति के करीब दो-तिहाई सदस्य मौजूद रहे.

Last Updated : Dec 23, 2020, 5:49 PM IST

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