बीजिंग : चीन ने विवादास्पद हांगकांग सुरक्षा विधेयक पारित कर दिया है. हांगकांग की मीडिया में इससे जुड़ी रिपोर्ट प्रकाशित की गई हैं. इनमें कहा गया है कि चीन के ऐसा करने से लोगों के बीच डर पैदा हो सकता है. डर पैदा होने के कारणों के बारे में लिखा जा रहा है कि चीन द्वारा पारित कानून का उपयोग अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र में विपक्षी आवाजों पर अंकुश लगाने के लिए किया जाएगा.
हांगकांग के लोगों का आरोप है कि चीन ने एक ऐसे विवादास्पद कानून को मंजूरी दी है, जो अधिकारियों को हांगकांग में विध्वंसक और अलगाववादी गतिविधियों पर नकेल कसने की अनुमति भी देगा.
गौर हो कि इससे पहले रविवार को चीन की संसद ने विवादास्पद हांगकांग सुरक्षा विधेयक की समीक्षा शुरू की थी. इस बारे में दुनियाभर के आलोचकों का कहना है कि इससे अर्द्धस्वायत्तशासी चीनी क्षेत्र में मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन होगा.
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून से जुड़े कुछ तथ्य चीन ने की विवादास्पद हांगकांग सुरक्षा विधेयक की समीक्षा
चीन की सरकारी शिन्हुआ संवाद समिति ने खबर दी थी कि नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थाई समिति ने तीन दिवसीय सत्र की शुरुआत में मामले पर चर्चा शुरू की. चीन ने कहा था कि वह कानून को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है.
वहीं अमेरिका का कहना है कि अगर कानून पारित हुआ तो वह अनुकूल व्यावसायिक शर्तों को समाप्त कर देगा. सीनेट ने गुरुवार को एक विधेयक को सर्वसम्मति से मंजूरी दी, जिसमें हांगकांग की स्वायत्तता को कमतर करने या शहर के निवासियों की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने पर व्यवसाय और पुलिस समेत व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे.
हांगकांग मामला : बौखलाए चीन ने भी अमेरिकी अधिकारियों पर लगाया वीजा प्रतिबंध
सीनेट के विधेयक में पुलिस की इकाइयों को निशाना बनाया गया है, जिन्होंने हांगकांग के प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की. साथ ही इसमें चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पदाधिकारियों को भी निशाने पर लिया गया है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा कानून थोपने के जिम्मेदार हैं.
पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के पूर्व प्रमुख और संयुक्त राष्ट्र के आठ पूर्व विशेष राजनयिकों ने संस्था के महासचिव से अपील की थी कि वह हांगकांग पर विशेष दूत की नियुक्ति करें, जिसे उन्होंने भविष्य का 'मानवीय संकट' करार दिया.
दूसरी ओर ब्रिटेन ने कहा है कि वह हांगकांग के 78 लाख लोगों में से 30 लाख लोगों को पासपोर्ट देगा. बीजिंग ने इस तरह के कदमों को अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करार दिया है.